Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 10
________________ बीजे, धायसंमो अ पुरकरो तर्ज । वारुणिवरो चन्बो, खीरवरो पंचमो दीवो ॥६॥ घयवरदीवो ट्ठो, खुरसो सत्तमो अ अट्ठम । नंदीसरो अ अरुणो, णवमो श्च्चासंखिजा ॥७॥ सुपसलवबुणामा, तिपमोयारा तहाऽरुणाया।गणामेवि असंखा, जाव य सूरावनास त्ति ॥॥ तत्तो देवे नागे, जके नूए सयंजुरमणेथ । एए पंच विदोवा, गेगणामा मुणेथवा ॥ए॥ पढमे लवणो बीए, कालोदहि सेसएसु सवेसु। दीवसमनामया जा, सयंजुरमणोदही चरमो ॥१॥ बीउ तळ चरमो, उदगरसा पढमचनवपंचमगा। बट्ठोऽवि सनामरसा, श्क्खुरसा सेसजलनिहिणो ॥११॥ जंबुद्दीव पमाणं-गुलिजोअणलरकवविकनो। लवणाईया सेसा, वलयाना गुणगुणा य ॥१॥ वयरामर्शहिं णिअणि-दीवोदहिमज्जगणिअमूलाहिं । अड्डुच्चाहिं बारस-चउमूलेउवरिरुंदाहिं ॥१३॥ विबारगविसेसो, उस्सेहविजत्तखर्च चर्म होइ । श्व चूलागिरिकूमा-तुब

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