Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 9
________________ नाणिया । जो पढ५ गुण निसुण, सो लहर सित्तुंजजत्तफलं ॥ २५ ॥ श्रीरत्नशेखरसूरिकृतश्रीलघुक्षेत्रसमासप्रकरणम् वीरं जयसेहरपय-पट्ठियं पणमिऊण सु -(स) गुरुं च । मंत्ति ससरणट्ठा, खित्तविचाराऽणुमुंगमि ॥१॥तिरिएगरज्जुखित्ते, असंखदीवोदहीउ ते सवे । उझारपलिथपणवीस-कोमिकोमीसमयतुवा ॥२॥ कुरुसगदिणाविरंगुल-रोमे सगवारविहिश्रश्रमखमे । बावन्नसयं सहस्सा, सगणनई बीसलरकाणू ॥३॥ ते थूला पद्धे वि हु, संखिजा चेव हुंति सवेऽवि । ते शकिक असंखे, सुहमे खेमे पकप्पेह ॥४॥ सुहमाणुणिचियउस्से -हंगुलचउकोसपब्लिघणवट्टे । पश्समयमणुग्गह नि -द्विअम्मि उझारपलिउ ति ॥५॥ पढमो जंबू

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