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प्रथम-परिच्छेद ]
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"थेरस्स रणं अज्जसुहस्थिस्स वासिद्धसगोत्तस्स इमे दुवालस थेरा अंतेवासी प्रहावच्या अभिन्नाया होत्या, तंजहा ।
थेरेत्थ अज्जरोहण-भद्दजसे मेहगणी य कामिड्डी । सुडियसुप्रडिबुद्धे, रक्खिय तह रोहगुत्ते य ॥१॥ इसिगुत्ते सिरियुत्ते, गरणी य बंभे गणी य तह सोमे ।
दस दो य गरगहरा खलु, एए सोसा सुहत्यिस्स ॥२॥२१०॥" 'स्थविर आर्य सुहस्ती के ये १२ स्थविर शिष्य हुए, जो यथापत्य अभिज्ञात थे। उनके नाम ये हैं :
स्थविर आर्यरोहण, स्थविर भद्र यशा, आर्य मेघगणि, स्थविर कामद्धि, स्थविर सुस्थित, सुप्रतिबुद्ध, प्रार्य रक्षित और स्थविर रोहगुप्त ।१। ऋषि गुप्त, श्रीगुप्त, ब्रह्मगरिण तथा सोनगणि, ये १२ गणधर आर्यसुहस्ती के शिष्य हुए ॥२॥२१०॥
"थेरेहितो णं अज्जरोहणेहितो कासवगुत्तेहितो तत्थ रणं उद्देहगरणे नामं गणे निग्गए। तस्सिमायो चत्तारि साहाओ निग्गयाो छच्चकुलाई एवमाहिज्जंति । से कि तं साहायो ? साहाओ एवमाहिज्जति उदुंबरिजिया, मासपुरिया, माहुरिज्जिया, पुन्नपत्तिया, से तं साहाम्रो । से किं तं कुलाइं ? कुलाई एवमाहिज्जति, तंजहा : इस साय "कौसम" इस नाम से अधिक प्रसिद्ध है जहानपुर से दक्षिण १२ मील, इलाहाबाद से दक्षिण-पश्चिम ३१ मील है। पभोसा नामक पहाड़ी पर एक स्तम्भ और एक मन्दिर है जो कौसम में तीन मील पश्चिम में है। शुक्तिमती दक्षिण मालवा की एक प्रसिद्ध नगरी थी, उससे प्रसिद्ध होने वाली शाखा शौक्तिगतीया कहलाई।
कोडम्बारण स्थान कहां था इसका पता नहीं लगा, संभव है यह स्थान युक्तप्रदेश में कही होना चाहिये।
चन्द्रनगर सेवड़ाफुली जंक्शन से ७ मील (हावड़ा सौ २१ मील) उत्तर चन्द्रनगर का रेल्वे स्टेशन है। फ्रांसीसियों के भूतपूर्व राज्य में २२/५१/४० उत्तर अक्षांश पर और ८८/२४/५० पूर्व देशान्तर में हुगली नदो के दाहिने किनारे पर चन्द्रनगर एक छोटा सुन्दर शहर है, हुगली के रेल्वे स्टेशन से ३ मील दक्षिण में चन्द्रनगर रेल्वे स्टेशन है।
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