Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् उदा०-(कौरव्य:) कुरोरपत्यं स्त्री-कौरव्यायणी। (माण्डूक:) मण्डूकस्यापत्यं स्त्री-माण्डूकायनी ।
आर्यभाषा: अर्थ-(कौरव्यमाण्डूकाभ्याम्) कौरव्य और माण्डूक (अत:) अकारान्त (अनुपसर्जनात्) अनुपसर्जन प्रातिपदिकों से (स्त्रियाम्) स्त्रीलिङ्ग में (ष्फ:) 'एफ' प्रत्यय होता है और उसकी (तद्धित:) तद्धित संज्ञा होती है।
उदा०- (कौरव्य) कुरोरपत्यं स्त्री-कौरव्यायणी। कुरु की पुत्री। (माण्डूक) मण्डूकस्यापत्यं स्त्री-माण्डूकायनी । माण्डूक ऋषि की पुत्री।
सिद्धि-(१) कौरव्यायणी । कुरु+ण्य। कौरो+य। कौरव्य+ष्फ। कौरव्य+आयन। कौरव्यायण+डीए । कौरव्यायणी+सु। कौरव्यायणी।
यहां प्रथम कुरु' शब्द से अपत्य अर्थ में कुर्वादिभ्यो ण्यः' (४।१।१५१) से ‘ण्य' प्रत्यय होता है। तद्धितेष्वचामादे:' (७/२/११७) से कुरु' शब्द को आदिवद्धि और 'ओर्गुण:' (६।४।१४६) से गुण तथा 'वान्तो यि प्रत्यये (६।११७६) से 'अव्’ आदेश होता है। ण्य-प्रत्ययान्त कौरव्य' शब्द से इस सूत्र से 'फ' प्रत्यय है। प्रत्यय के षित् होने से 'षिद्गौरादिभ्यश्च' (४।१।४१) से 'डीए' प्रत्यय होता है। यह 'अजाद्यतष्टाप्' (४।१।४) से प्राप्त टाप्' प्रत्यय का अपवाद है।
(२) माण्डू कायनी। मण्डूक+अण्। माण्डूक+फ। माण्डूक्+आयन। माण्डूकायन+डीप्। माण्डूकायनी+सु। माण्डूकायनी।।
यहां प्रथम मण्डूक' शब्द से ढक् च मण्डूकात्' (४।१।११९) से अपत्य अर्थ में 'अण्' प्रत्यय होता है। पूर्ववत् अंग को आदिवृद्धि होती है। अण्-प्रत्ययान्त माण्डूक शब्द से इस सूत्र से फ' प्रत्यय है। पूर्ववत् 'डीठ' प्रत्यय होता है। यह 'टिड्ढाण' (४।१।१५) से प्राप्त 'डीप्' प्रत्यय का अपवाद है। डीप
(१६) वयसि प्रथमे ।२०। प०वि०-वयसि ७१ प्रथमे ७।१। अनु०-ष्फ इति निवृत्तम्, डीप् इति चानुवर्तते। अन्वय:-प्रथमे वयसि प्रातिपदिकात् स्त्रियां ङीप् ।
अर्थ:-प्रथमे वयसि श्रुत्या वर्तमानात् प्रातिपदिकात् स्त्रियां डीप् प्रत्ययो भवति।
उदा०-कुमारी। किशोरी। वर्करी।
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