Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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चतुर्थाध्यायस्य द्वितीयः पादः
२४५ अर्थ:-यथासम्भवविभक्तिसमर्थात् प्रातिपदिकाद् अस्मिन्नादिषु चतुर्वर्थेषु विहितस्य प्रत्ययस्य लुब् भवति, तन्नाम्नि देशे जनपदेऽभिधेये। ग्रामसमुदायो जनपद:।
उदा०-पञ्चालानां निवासो जनपद:-पञ्चाला: । एवम्-कुरवः, मत्स्या:, अङ्गा: । बङ्गा:, मगधा, सुह्मा:, पुण्ड्रा: इति ।
आर्यभाषा: अर्थ-यथासम्भव विभक्ति-समर्थ प्रातिपदिक से (अस्मिन्) अस्मिन् आदि चार अर्थों में विहित प्रत्यय का (लुप्) लोप होता है (तन्नाम्नि देशे) यदि वहां तन्नामिक देश जनपद अर्थ अभिधेय हो । ग्रामों का समुदाय जनपद कहाता है और उस में एक जनविशेष का राज्य होता है।
उदा०-पञ्चालानां निवासो जनपद: पञ्चाला: । पंचाल नामक क्षत्रियों का निवास जनपद 'पञ्चाला:' कहाता है। ऐसे ही-कुरवः, मत्स्या:, अङ्गाः । बङ्गाः, मगधाः, सुह्माः, पुण्ड्राः।
सिद्धि-पञ्चाला: । पञ्चाल+आम्+अण्। पञ्चाल+0। पञ्चाल+जस्। पञ्चाला: ।
यहां क्षत्रियवाची ‘पञ्चाल' शब्द से तस्य निवासः' (४।२।६९) से निवास अर्थ में 'अण्' प्रत्यय है। इस सूत्र से उसका लुप् (लोप) हो जाता है।
विशेष-(१) पाणिनि मुनि ने लुब् योगाप्रख्यानात् (१।२।५४) में लुप्-विधायक सूत्रों का प्रत्याख्यान किया है। इसका विशेष प्रवचन वहां देख लेवें।
(२) पंचाल-एक प्रसिद्ध भूखण्ड का नाम जो राजेश्वर के मतानुसार यमुना और गंगा के मध्य में है। राजा द्रुपद के समय वह दक्षिण में चर्मण्वती (चम्बल) के तट से उत्तर में हरिद्वार तक फैला हुआ था।
(३) कुरु-दिल्ली और मेरठ का प्रदेश।
(४) मत्स्य-विराट् देश। जयपुर के आस-पास का भूभाग, इसमें अलवर भी शामिल था। इसकी राजधानी का नाम बेरात' था जो अब बारट के नाम से प्रसिद्ध है। यह जयपुर से ४० मील उत्तर की ओर है।
(५) अङ्ग-गंगा के दाहिने तट पर अवस्थित प्राचीन एक प्रसिद्ध राज्य। इस राज्य की राजधानी का नाम चम्पा नगरी था। यह चम्पा नगरी आधुनिक भागलपुर नगर के समीप बिहार में थी।
(६) बङ्ग-इसे समतट भी कहते हैं। पूर्वी बंगाल का नाम । किसी समय इसमें टिपरा और गारों भी शामिल थे।
(७) मगध-बिहार प्रान्त में प्राचीनकाल में मगध राज्य की पश्चिमी सीमा सोन नद था। इसकी प्राचीन राजधानी का नाम गिरिव्रज या राजगृह था। पिछले प्राचीन साहित्य में इसी का दूसरा नाम कीकट देश लिखा मिलता है।
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