Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् का लोप होता है। विधान-सामर्थ्य से ‘फले लुक्' (४।३।१६३) से 'अण्' प्रत्यय का लुक् नहीं होता है।
(२) नैयग्रोधम् । न्यग्रोध+डस्+अण् । न ऐ यग्रोध+अ । नैयग्रोध+सु । नैयग्रोधम् ।
यहां न्यग्रोध' शब्द से पूर्ववत् 'अण्' प्रत्यय है किन्तु यहां तद्धितेष्वचामादे:' (७।२।११७) से अंग को आदिवद्धि न होकर न्यग्रोधस्य च केवलस्य' (४।३।५) से अंग के अकार से पूर्व ऐच्-आगम होता है।
यह 'अण्' प्रत्यय प्लक्षादिगण में पठित उकारान्त शब्दों से 'ओरज्ञ (६।४।१४६) से प्राप्त 'अञ्' प्रत्यय का तथा शेष शब्दों से 'अनुदात्तादेश्च' (४।३।१३८) से प्राप्त 'अञ्' प्रत्यय का अपवाद है। अण्-प्रत्ययविकल्पः
(३१) जम्ब्वा वा ।१६३। प०वि०-जम्ब्वा : ५।१ वा अव्ययपदम् । अनु०-तस्य, विकार:, अवयवे, च, फले इति चानुवर्तते। अन्वय:-तस्य जम्ब्वा अवयवे विकारे वाऽण, फले ।
अर्थ:-तस्य इति षष्ठीसमर्थात् जम्बू-शब्दात् प्रातिपदिकाद् अवयवे विकारे चार्थे विकल्पेनाऽण् प्रत्ययो भवति, फलेऽभिधेये, पक्षे चाञ् प्रत्ययो भवति।
उदा०-जम्ब्वा अवयवो विकारो वा जाम्बवं फलम् (अण्) । जम्बु फलं वा (अञ्)।
आर्यभाषा: अर्थ-(तस्य) षष्ठी-समर्थ (जम्ब्वाः ) जम्बू प्रातिपदिक से (अवयवे) अवयव (च) और (विकार:) विकार अर्थ में (वा) विकल्प से (अण्) अण् प्रत्यय होता है (फले) यदि वहां फल अर्थ अभिधेय हो और पक्ष में 'अण्' प्रत्यय होता है।
उदा०-जम्बू (जामुन) का अवयव वा विकार-जाम्बव फल (अण्) जम्बु फल (अञ्) जामुन।
सिद्धि-(१) जाम्बवम् । जम्बू+डस्+अण् । जाम्बो+अ। जाम्बव+सु । जाम्बवम् ।
यहां षष्ठी-समर्थ जम्बू' शब्द से अवयव और विकार अर्थ में तथा फल अर्थ अभिधेय में इस सूत्र से 'अण्' प्रत्यय है। पूर्ववत् अंग को आदिवृद्धि तथा 'ओर्गुण:' (६।४।१४६) से अंग को गुण होता है।
(२) जम्बु । जम्बू+डस्+अञ् । जम्बू+0 | जम्बु+सु। जम्बु।
यहां षष्ठी-समर्थ जम्बू' शब्द से पूर्वोक्त अर्थ में विकल्प पक्ष में 'ओर (४।३।१३७) से 'अञ्' प्रत्यय होता है और 'फले लुक' (४।३।१६१) से उसका लुक्
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