Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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चतुर्थाध्यायस्य प्रथमः पादः । आर्यभाषा: अर्थ- (पाक०बालोत्तरपदात्) पाक. कर्ण, पर्ण, पुष्प, फल, मूल, बाल-उत्तरपदवाले (जाते:) जातिवाचक प्रातिपदिक से (च) भी (स्त्रियाम्) स्त्रीलिङ्ग में (डीए) डीण् प्रत्यय होता है।
उदा०-उदाहरण और उनका अर्थ संस्कृत भाग में देख लेवें। सिद्धि-ओदनपाकी । ओदन+पाक । ओदनपाक+डीप् । ओदनपाकी+सु । ओदनपाकी।
यहां पाक उत्तरपदवाले. जातिवाची 'ओदनपाक' शब्द से स्त्रीलिङ्ग में इस सूत्र से डीण्' प्रत्यय है। ऐसे ही-शकुकर्णी आदि।
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(२६) इतो मनुष्यजातेः।६५ । प०वि०-इत: ५।१ मनुष्यजाते: ५।१।
स०-मनुष्यस्य जातिरिति मनुष्यजाति:, तस्मात्-मनुष्यजाते: (षष्ठीतत्पुरुषः)।
अनु०-ङीष् इत्यनुवर्तते। अन्वय:-मनुष्यजातेरिति प्रातिपदिकात् स्त्रियां डीए ।
अर्थ:-मनुष्यजातिवाचिन इकारान्तात् प्रातिपदिकात् स्त्रियां डीए प्रत्ययो भवति।
उदा०-अवन्ती। कुन्ती। दाक्षी। प्लाक्षी।
आर्यभाषा: अर्थ-(मनुष्यजाते.) मनुष्यजातिवाची (इत:) इकारान्त प्रातिपदिक से (स्त्रियाम्) स्त्रीलिङ्ग में (डीए) डीष् प्रत्यय होता है।
उदा०-अवन्ती। मालवा प्रदेश की नारी । कुन्ती। शूरसेन राजा की औरसी पत्री जिसका नाम पृथा था और यदुवंशी राजा कुन्तिभोज ने इसे गोद लिया था। यह राजा पाण्डु की पटरानी थी. इसी के गर्भ से कर्ण, युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन का जन्म हुआ था। दाक्षी। दक्ष की कन्या। पाणिनि की माता का नाम । प्लाक्षी। प्लक्ष जाति की नारी।
सिद्धि-(१) अवन्ती । अवन्ति-व्यङ्। अवन्ति+० । अवन्ति+ङीष् । अवन्ती+सु । अवन्ती।
यहां 'अवन्ति' शब्द से वृद्धत्कोशलाजादाञ्ज्यङ् (४।१।१६९) से ज्यङ्' प्रत्यय, स्त्रियामवन्ति०' (४।१।१७४) से उसका लुक्, तत्पश्चात् मनुष्यजातिवाची इकारान्त 'अवन्ति' शब्द से स्त्रीलिङ्ग में इस सूत्र से डीप् प्रत्यय है।
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