Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् उदा०-गोधाया अपत्यम्-गौधारः ।
आर्यभाषा: अर्थ-(तस्य) षष्ठी-समर्थ (गोधायाः) गोधा-शब्द प्रातिपदिक से (अपत्यम्) अपत्य अर्थ में (आरक्) आरक् प्रत्यय होता है (उदीचाम्) उत्तर-भारत के आचार्यों के मत में।
उदा०-गोधाया अपत्यम्-गौधारः । गोह का बच्चा-गौधार (गोहेरा)। सिद्धि-गौधारः । गोधा+डस्+आरक् । गौध्+आर। गौधार+सु। गौधारः ।
यहां षष्ठी-समर्थ 'गोधा' शब्द अपत्य अर्थ में तथा उत्तर भारत के आचार्यों के मत में इस सूत्र से 'आरक्' प्रत्यय है। किति च' (७।२।११८) से अंग को आदिवृद्धि और 'यस्येति च' (६।४।१४८) से अंग के आकार का लोप होता है। द्रक
(३) क्षुद्राभ्यो वा ।१३१॥ प०वि०-क्षुद्राभ्य: ५।३ वा अव्ययपदम्। अनु०-तस्य, अपत्यम्, द्रक् इति चानुवर्तते, आरक् इति च नानुवर्तते। अन्वय:-तस्य क्षुद्राभ्योऽपत्यं द्रक्।।
अर्थ:-तस्य इति षष्ठीसमर्थेभ्य: क्षुद्रावाचिभ्य: प्रातिपदिकेभ्योऽपत्यमित्यस्मिन्नर्थे विकल्पेन ड्रक् प्रत्ययो भवति । अङ्गहीना: शीलहीनाश्च स्त्रियः क्षुद्रा इत्युच्यन्ते।
उदा०-काणाया अपत्यम्-काणेर:, काणेयो वा। दास्या अपत्यम्दासेर:, दासेयो वा।
आर्यभाषा अर्थ-(तस्य) षष्ठी-समर्थ (क्षुद्राभ्यः) क्षद्रावाची प्रातिपदिकों से (अपत्यम्) अपत्य अर्थ में (वा) विकल्प से (दक्) द्रक् प्रत्यय होता है। अहीन अथवा चरित्रहीन स्त्रियों को क्षुद्रा कहते हैं।
उदा०- (अङ्गहीन) काणाया अपत्यम्-काणेर:, काणेयो वा। काणी स्त्री का पुत्र काणेर अथवा काणेय। (शीलहीन) दास्या अपत्यम्-दासेर:, दासेयो वा । दासी का पुत्र दासेर अथवा दासेय।
सिद्धि-(१) काणेरः । काणा+डस्+क् । काण+एय्+र । काण्+एकर । काणेर+सु। काणेरः।
यहां षष्ठी-समर्थ क्षुद्रावाची ‘काणा' शब्द से अपत्य अर्थ में इस सूत्र से द्रक्' प्रत्यय है। शेष कार्य 'गौधेरः' (४।१।१२९) के समान है।
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