Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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वरुण
शर्वः
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चतुर्थाध्यायस्य प्रथमः पादः प्रातिपदिकम् डीष अर्थ: भाषार्थ: इन्द्रः इन्द्राणी
इन्द्र की स्त्री शची। २. वरुण: वरुणानी
वरुण की स्त्री। भवानी भव (शिव) शिव की पत्नी पार्वती। शर्वाणी शर्व (शिव) शिव की पत्नी पार्वती।
रुद्राणी रुद्र (शिव) शिव की पत्नी पार्वती। ६. मृड: मृडानी शर्व (शिव) शिव की पत्नी पार्वती।
हिमम् हिमानी हिमाद् महत्त्वे बर्फ का ढेर। ८. अरण्यम् अरण्यानी अरण्यान्महत्त्वे बड़ा लम्बा-चौड़ा वन। ९. यव: यवानी यवाद् दोषे दूषित जौ। १०. यवनः यवनानी यवनाल्लिप्याम् यवनों की लिपि (फारसी)। ११. मातुल: मातुलानी मातुल मामी। १२. आचार्य: आचार्यानी आचार्यादणत्वं च आचार्य की पत्नी।
आर्यभाषा: अर्थ-(इन्द्र आचार्याणाम्) इन्द्र, वरुण, भव, शर्व, रुद्र, मृड, हिम, अरण्य, यव, यवन, मातुल, आचार्य प्रातिपदिकों से (स्त्रियाम्) स्त्रीलिङ्ग में (डीए) डीष् प्रत्यय होता है और उन्हें (आनुक्) आनुक् आगम होता है।
उदा०-उदाहरण और उनका अर्थ संस्कृत भाग में देख लेवें।
सिद्धि-(१) इन्द्राणी । इन्द्र+डीए । इन्द्र+आनुक्+ई। इन्द्र+आन्+ई। इन्द्राणी+सु। इन्द्राणी।
यहां 'इन्द्र' शब्द से स्त्रीलिङ्ग में इस सूत्र से ‘डीए' प्रत्यय और प्रातिपदिक को 'आनुक्’ आगम होता है। 'अट्कुप्वाङ्' (८।४।२) से णत्व होता है। ऐसे ही-वरुणानी आदि।
(२) हिमानी। यहां हिम' शब्द से वा०-हिमारण्ययोर्महत्त्वे (४।१।४८) से महत्त्व अर्थ में डीष् प्रत्यय और आनुक् आगम होता है।
(३) अरण्यानी। पूर्ववत्।
(४) यवानी। यहां यव' शब्द से वा०-'यवाद् दोषे (४।१।४८) से दोष अर्थ में 'डीए' प्रत्यय और 'आनुक्’ आगम होता है।
(५) यवनानी। यहां यवन' शब्द से वा०- 'यवनाल्लिप्याम्' (४।१।४८) से लिपि अर्थ में 'डीए' प्रत्यय और आनुक् आगम होता है।
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