Book Title: Panchsangraha Part 04
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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श्रीमान् पुखराजजी ज्ञानचन्दजी मुणोत, ताम्बरम् (मद्रास)
संसार में उसी मनुष्य का जन्म सफल माना जाता है जो जीवन में त्याग, सेवा, संयम, दान परोपकार आदि सुकृत करके जीवन को सार्थक बनाता है । श्रीमान पुखराजजी मुणोत भी इसी प्रकार के उदार हृदय, धर्मप्रेमी गुरु भक्त और दानवीर है जिन्होंने जीवन को त्याग एवं दान दोनों धाराओं में पवित्र बनाया है ।
आपका जन्म वि० सं० १९७८ कार्तिक वदी ५, रणसीगांव (पीपाड़ जोधपुर) निवासी फूलचन्दजी मुणोत के घर, धर्मशीला श्रीमती कूकी बाई के उदर से हुआ | आपके २ अन्य बन्धु व तीन बहनें भी हैं । भाई - स्व० श्री मिश्रीमल जी मुणोत श्री सोहनराज जी मुणोत
बहनें -- श्रीमती दाकूबाई, धर्मपत्नी सायबचन्द जी गांधी, नागोर श्रीमती तीजीबाई, धर्मपत्नी रावतमल जी गुन्देचा, हरियाड़ाणा श्रीमती सुगनीबाई, धर्मपत्नी गंगाराम जी लूणिया, शेरगढ़ आप बारह वर्ष की आयु में ही मद्रास व्यवसाय हेतु पधार गये और सेठ श्री चन्दनमल जी सखलेचा ( तिण्डीवणम् ) के पास काम काज सीखा ।
आपका पाणिग्रहण श्रीमान मूलचन्द जी लूणिया (शेरगढ़ निवासी) की सुपुत्री धर्मशीला, सौभाग्यशीला श्रीमती रुकमाबाई के साथ सम्पन्न हुआ ! आप दोनों की ही धर्म के प्रति विशेष रुचि, दान, अतिथि सत्कार व गुरु भक्ति में विशेष लगन रही है ।
ई० सन् १६५० में आपने ताम्बरम् में स्वतन्त्र व्यवसाय प्रारम्भ किया । प्रामाणिकता के साथ परिश्रम करना और सबके साथ सद्व्यवहार रखना आपकी विशेषता है । करीब २० वर्षों से आप नियमित
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