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प्रन्य-विषय-सूची
मनुष्यायुके देवायके
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उक्त बन्धस्थानमें इकतीस प्रकृतिक उदयस्थानके गुणस्थानों में दर्शनावरणके बन्धादि स्थानों का साथ बानबे; नब्बे, अठासी, चौरासी और . निरूपण
४२५-४२६ बयासी प्रकृतिक सत्त्वस्थानके स्वामियोंका सप्ततिकाकार-द्वारा वेदनीय, आय और गोत्रकर्मके वर्णन
४०० बन्धादि स्थान सम्बन्धी भंगों का निरूपण ४२७ तीस प्रकृति बन्धस्थानमें संभव उदयस्थानों और भाष्यगाथाकार-द्वारा वेदनीयकर्मके भंगोंका वर्णन ४२७ सत्त्वस्थानोंका वर्णन
गुणस्थानों में आयुकर्मके भंगसंख्यादिका वर्णन उक्त स्थानोंम संभव विशेषताका निरूपण ४०२-४०३
४२८-४२९ सप्ततिकाकार-द्वारा शेष बन्धस्थानोंमें संभव
नरकायुके भंगोंका वर्णन
४२९ उदय और सत्त्वस्थानोंका निरूपण ४०४ तिर्यगायुके " "
४३० भाष्य गाथाकार-द्वारा उक्त अर्थका स्पष्टीकरण ४०५
४३० उपर्युक्त बन्धादि तीनों प्रकारके स्थानोंका जीव
४३१ समास और गुणस्थानोंकी अपेक्षा स्वामित्व.... आयुकर्मके ११३ भंगोंका स्पष्टीकरण ४३१-४३४ जाननेकी सूचना
४०६ गुणस्थानोंमें गोत्रकर्मके भंगोंका निरूपण ४३४ जीवसमासोंमें ज्ञानावरण और अन्तराय कर्मके उपर्युक्त भंगोंका स्पष्टीकरण
४३५-४३६ बन्धादि स्थानोंके स्वामित्वका निर्देश ४०७ सप्ततिकाकार-द्वारा गुणस्थानोंमें मोहकर्मके बन्धदर्शनावरणकर्मके बन्धादि स्थानोंके स्वामित्वगत
स्थानोंका निरूपण
४३६ भंगोंका जीवसमासोंमें निर्देश, वेदनीय, उक्त अर्थका भाष्य गाथाकार-द्वारा स्पष्टीकरण ४३७ आयु और गोत्रके स्थानो के भंग जाननेका भाष्यगाथाकार-द्वारा मोहकर्मके उदयस्थानोंका संकेत और मोहकर्मके भंग-निरूपणकी
निरूपण
४३८ प्रतिज्ञा
४०८
मिथ्यात्व गुणस्थानमें सम्भव मोहकर्मके उदयभाष्यगाथाकार-द्वारा वेदनीय, आय और गोत्र
स्थानोंका वर्णन
४३८ कर्मके भंगोंकी संख्याका निर्देश ४१०
सासादनादि गुणस्थानोंमें उपर्युक्त स्थानोंका वेदनीयकर्मके भंगोंका जीवसमासो में निरूपण ४१०
वर्णन
४३९-४४० आयकर्मके भंगों का जीवसमासों में निरूपण
सप्ततिकाकार-द्वारा प्रत्येक गुणस्थानमें सम्भव
४११ गोत्रकर्मके भंगों का जीवसमासों में निरूपण
उदयस्थानोंका निरूपण .
४४१ ४१४ सप्ततिकाकार-द्वारा जीवसमासों में मोहकर्मके
सप्ततिकाकार-द्वारा गुणस्थानोंमें उदयस्थानोंके
भंगोंका वर्णन भंगों का निरूपण
४४२ ४१५ भाष्यगाथाकार-द्वारा उक्त अर्थका स्पष्टीकरण ४१६ भाष्य गाथाकारद्वारा उपयुक्त अथका स्पष्टासप्ततिकाकार द्वारा जीवसमासों में नामकर्मके
करण
४४३-४४४ .. बन्ध उदय और सत्त्वस्थान सम्बन्धी भंगों- सर्वगुणस्थानोंके मोहकर्म सम्बन्धी उदयका निरूपण
४१७ विकल्पोंका निरूपण भाष्यगाथाकार-द्वारा उक्त अर्थका स्पष्टी
गुणस्थानोंमें उदयस्थानोंकी प्रकृतियोंका तथा करण ४१८-४२२ उनके पदवन्दोंका निरूपण
४४५-४४८ सप्ततिकाकार-द्वारा ज्ञानावरण और अन्तराय- सप्ततिकाकार-द्वारा योग, उपयोग और लेश्यादि
कर्मके बन्धादि-स्थानों का गुणस्थानों में वर्णन ४२३ को आश्रय करके मोहकर्मके उदयस्थानदर्शनावरण कर्मके बन्धादि स्थानों का गुणस्थानोंमें
सम्बन्धी भंगोंको जाननेकी सूचना ४४८ वर्णन
४२४ भाष्यगाथाकार-द्वारा गुणस्थानोंमें योगोंका भाष्यगाथाकार-द्वारा उक्त स्थानों का स्पष्टीकरण ४२४ निरूपण
४४८
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