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होव सोय हो लाल ॥ पुन्य ॥२०॥ आदेज बचन शुभकर्मथी, तिणरो बचन मानें सहुकोय होलाल । जस किर्ती शुभ नाम उदय हुवां जस कीरत जगमें होय होलाल ॥ पुन्य.॥ २१ ॥ अगुरू लघू नाम कर्मसूं, शरीर हलको भारी नहीं लगात हो लाल । प्राघात शुभनाम उदय थकी, श्राप जीतै पैलोपामें घात हो लाल | पुन्य ॥ २२॥ उस्वास शुभनाम उदय थकी, स्वासोवास सुखे लेवंत हो लाल । श्राताप शुभनाम उदय थकी, आप सीतल पैलो तपंतहो लाल ॥ पुन्य ॥ २३ ॥ उद्योत शुभनाम उदय थकी, शरीर उजवालो जान हो लालं । शुभ गई शुभनाम कर्म सू, हंस ज्यों चोखी चाल वखान हो लाल || पुन्य ।। २४ ॥ निर्माण शुभनाम उदय थकी, शरीर फोडा फुणगला रहित हो लाल । तीर्थंकर नामकर्म उदय हुवां, तीर्थकर होवै तीन लोक वदित होलाल ॥ पुन्य ॥ २५॥ कोई युगलियादिक तिर्यचनी, गतिनें अनुपूर्वीजाण होलाल । तेतो प्रक्रति दीसँछ पुन्यतणी, ज्ञानी चधै ते प्रमाण होलाल ॥ पुन्य ॥ २६ ॥ पहिलो संवयण संठाण बरजनें, च्यार संघयण च्यार संठाण होलाल । त्याँ