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हिन्सा झूठ चोरी मैथुन परिग्रह तथा पांचों इन्द्रियोंको मोकलो मेलना मन बचन कायाके जोग और भंडोपग्रण से अजयणा करना तथा सुचि कुशंग सेना यह पंदरे ही जोग श्राश्रव है इन 'को त्यागने से व्रत संबर होता है, जोग.संघर तो सर्वथा जोग, बंधन से चौदधे गुणस्थान है ;
॥ढाल तेहिज . - केईकहै कषाय ने जोग आश्रव तणां । सूत्र मैं चाल्या पचखाण हो ॥ भ ॥ त्यांने त्याग्याँ विना संबर किण विध हूत्रै । हिव तिणरी कहूंछु पिछाण हो । भ ।सं। १६॥ पचखाण चाल्या ॐ सूत्र में शरीररा । ते शरीर सूंन्यारो हूवां-तांमहो ॥भ । इमहिज कषाय नै जोग पचखाणछै । शरीर पचखाण ज्यूं अामहो ॥ भ ॥ सं ॥ १७ ॥ सामा. यक आदि चारित पांचं भणीं । सर्व ब्रत संवर जांन हो ॥ भ ॥ पुलाग आदि छहुँ नियट्ठा । एपिण संबरलिज्यो पिछाणहो ॥ भ ।। सं॥१८॥ चारिताबरणी खयोपस्म हूयाँ । जब'जीवन श्रावे. वैराग हो ॥ भं । तब कांमनें भोगथकी विरक्त हौ । जब सब सावझ दे त्यागहो ॥ भ । सं॥ ॥ १६ ॥ सर्व सविझ जोगाने त्यागै.सर्वथा। ते. सर्व ब्रत संबर जांणहो । भ । जब अवतरा, पाप