Book Title: Navsadbhava Padartha Nirnay
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 209
________________ - - पंक्ति अशुद्ध शुद्ध |संसारिक दृष्य सें थाले प्रत्रकास নীৰ द्रव्या रात्रि सांसारिक द्रव्य सथाले अवकाश जाव द्रव्यां रात्री पणूि पूरण परमाणू परमाणु वो पर्माणू वो पर्माणू परमाणु वसस्त्र वस्त्र ध्यतः द्रव्यतः श्रायुष्य স্নায়ুথ यजर समान सुश्वर प्रमाणिक यसवंत कीया उपाना वजूसमान . सुस्वर प्रामाणीक यशवन्त किया । उपाङ्ग

Loading...

Page Navigation
1 ... 207 208 209 210 211 212 213 214