Book Title: Navsadbhava Padartha Nirnay
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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[४]
पंक्ति
अशुद्ध
शुद्ध
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ययांलीस
उच्च
*
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वयालिस में उच्य वान्छा निवध संसारिक अपेक्षाय चक्रिवर्ती की हुकुमाता भ्रसास्वते निर्वध
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২াজ্ঞা। निर्वध्य सांसारिक अपेक्षा चक्रवत्तिकी हुकुमता श्रसास्वत: निर्वद्य
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श्रासा अदवसायों से स्वतह | पुन्योपारजन निर्मला नाघाद्वारा
ने नरा ८. नागसे विमुल
अधकाय
अध्यवसायास स्वतः पुण्योपार्जन निमल नाथद्वारा जैनरा .. 'मार्गसें विमुख अप्पकाय ।
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