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(४७) ताहि हो लाल । युगलिया तिर्यंचतेहन, 'श्रायुपदीसे छै पुन्य मांहि, हो लाल ॥ पुन्य ॥ ७ ॥ शुभ श्रायुषरा मनुष्य देवता, त्यारी गति अंनुपूर्वी शुद्ध हो लाल । केई जीव पंचेन्द्री बिशुद्ध छै, त्यांरी. जाति पिण निपुण विशुद्ध हो लाल | पुन्य ॥८॥ शुभ नाम पणे पायपरिणम्यां, ते उदय हुवै जी. वरै ताय हो लाल । अनेक वाना शुद्ध हुवै तेहसुं, नाम कर्म कहयो जिनराय हो लाल ॥ पुन्य ॥ ॥६॥ पांच शरीर छै शुद्ध निरमला, तीन शरीग निर्मल उपांग हो लाल । ते पामैं शुभ नाम कर्म उदय थकी, शरीर उपांग सुचंग होलाल ॥ पुन्य ॥ ॥ १०॥ पहिला संघयणनां रूडा हाड छै, पहिलो संठाण रूडै आकार हो लाल । ते पामै शुभ नाम उदय थकी, हाडते आकार श्रीकार हो लाल ॥ पुन्यं ॥ ११ ॥ भला२ बर्ण मिलै जीवनें, गमता२ घणां श्रीकार हो लाल । ते पामै शुभ नाम उदय थकी, जीव भोगवै विविध प्रकार हो लाल ॥ पुन्य ॥ १२ ॥ भलार गन्ध मिलै जीवनें, गमतार घणां श्रीकार हो लाल । ते पामै शुभ नाम उदय थकी, जीव भोगवे विविध प्रकार हो लाल'