________________
(५०)
मैं तो भेल दीस? पुन्यतणों ज्ञानी वधै ते प्रमाण होलाल ॥ पुन्य ॥ २७ ॥ जेजे हाड़ छै पहि. ला संघयणमें, तिणमाहिलाच्यारा म्हाय हो लाल । त्यांने जाबक पापमें घालीयां, ते मिलतो न दीसें न्याय हो लाल ॥ पुन्य ॥ २८॥ जेजे श्राकार पहिला संठाण में, तिण माहिला च्यारो म्हांय हो लाल । त्याने जावक पाप में घालीयां, यो पिण मिलतो न दिसै न्याय हो लाल . ॥ पुन्य ।। ॥ २६॥ ऊंच गौत पणे पाय परिणम्यां, ते उदय श्रावै जीवरे ताम हो लाल । ऊंच पदवी पामें तिण थकी, ऊंच गौत छै तिणरो नाम हो लाल ||पुन्य।। ॥३०॥सघली न्यात थकी ऊंची त्यात छै, तिणरै कठेही न लागै छोत हो लाल।एहवा जे मनुष्य ने देवता, त्यांरो कर्म छै ऊंच गौत होलाल |पुन्य।। ॥३१॥ जेजे गुण श्रावै जीवरै शुभ पण, जेहवा छै. जीवरा नाम हो लाल । तेहवाहिज नाम पुदगल तणां, जीवतणे संयोगनाम ताम हो लाल .॥ पुन्य ॥ ३२॥
. . ॥ भावार्थ ॥
- अब पुन्य पदार्थ क्याहै तथा जीयके किस २ तरहें उदय प्राता है सो कहत है, पुन्य है सो पुद्गलों की पर्याय है यान भाष