________________
नन्दी सूत्र
२. शिला की छत
एक दिन राजा ने नटों के उस गाँव में यह आज्ञा भेजी कि- "तुम सब लोग मिलकर राजा के योग्य एक मण्डप तैयार करो। मण्डप ऐसी चतुराई से बनना चाहिए कि गाँव के बाहर वाली बड़ी शिला उस मंडप की छत बन जाय, किन्तु उस शिला को यहाँ से बाहर नहीं निकाला जाय और नं हटाया भी जाय। "
१०६
******************
राजा की उपरोक्त आज्ञा सुन कर गाँव के सभी लोग बड़े असमंजस में पड़ गये। गाँव के बाहर सभा करके सब लोग परस्पर विचार करने लगे कि राजा की इस असंभव आज्ञा का किस प्रकार पालन किया जाय ? आज्ञा का पालन न होने पर राजा कुपित होकर अवश्य ही भारी दण्ड देगा। इस तरह चिन्तित होकर विचार करते-करते दोपहर हो गया, किन्तु राजा की आज्ञा को पूरा करने का कोई उपाय नहीं सूझा।
**************
रोहक, पिता के बिना भोजन नहीं करता था। इसलिए भूख से व्याकुल होकर वह गाँव के बाहर अपने पिता भरत के पास आया और कहने लगा- "पिताजी! मुझे बहुत भूख लगी है। भोजन के लिए जल्दी घर चलिये।" भरत ने कहा - " वत्स! तुम सुखी हो । गाँव के कष्ट को तुम नहीं जानते।" रोहक ने पूछा - " गाँव पर क्या कष्ट आया है ?" भरत ने रोहक को राजा की आज्ञा कह सुनाई। सारी बात सुन लेने पर हँसते हुए रोहक ने कहा- "पिताजी! आप लोग चिन्ता न कीजिए। यदि गाँव पर यही कष्ट है, तो यह तो सहज ही दूर किया जा सकता है।" गाँव वालों पूछा" वत्स ! यह कैसे ?" रोहक ने कहा-मण्डप बनाने के लिए शिला के चारों तरफ जमीन खोद डालो यथास्थान चारों कोनों पर खम्भे लगा कर बीच की मिट्टी को भी खोद डालो। फिर चारों तरफ दीवार बना दो, मण्डप तैयार हो जायेगा । इस शिला को बाहर निकाले या हटाये बिना ही इसकी छत बन जायेगी । इस तरह राजा की आज्ञा पूरी हो जायेगी ।
रोहक का बताया हुआ उपाय सभी लोगों को ठीक लगा। उनकी चिन्ता दूर हो गई। सभी लोग भोजन करने के लिए अपने अपने घर गये। बाद में रोहक की बताई हुई विधि के अनुसार जमीन खोद कर मण्डप बनाने का काम आरम्भ किया गया। कुछ ही दिनों में सुन्दर मण्डप बनकर तैयार हो गया। इसके बाद उन्होंने राजा की सेवा में निवेदन किया कि "स्वामिन्! आपकी आज्ञानुसार मण्डप बना दिया गया है। उस पर शिला की छत भी लगा दी गई है।" राजा ने पूछा"कैसे?" तब उन्होंने मण्डप बनाने की सारी हकीकत कह सुनाई। राजा ने पूछा - " इस प्रकार मण्डप बनाने का उपाय किसने बतलाया ? यह किसकी बुद्धि का काम है ?" गाँव के लोगों ने कहा- "स्वामिन्! भरत के पुत्र रोहक की बुद्धि का यह काम है । उसी ने हम लोगों को यह उपाय बताया था ।" लोगों की बात सुन कर राजा को बड़ी प्रसन्नता हुई ।
1
रोहक की बुद्धि का यह दूसरा उदाहरण है।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org