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श्रुत ज्ञान के भेद-प्रभेद - दृष्टिवाद
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उत्तर - उपसंपादन-श्रेणिका परिकर्म के ११ भेद हैं। वे इस प्रकार हैं - १. पृथक् आकाश पद २. केतुभूत ३. राशिबद्ध ४. एक-गुण ५. द्वि-गुण ६. त्रि-गुण ७. केतुभूत ८. प्रतिग्रह ९. संसार प्रतिग्रह १०. नन्दावर्त ११. उपसंपादन आवर्त। यह उपसंपादन श्रेणिका परिकर्म है।
से किं तं विप्पजहणसेणियापरिकम्मे? विप्पजहणसेणियापरिकम्मे इक्कारसविहे पण्णत्ते, तं जहा-१. पाढोआगासपयाइं २. केउभूयं ३. रासिबद्ध ४. एगगुणं ५. दुगुणं ६. तिगुणं ७. केउभूयं ८. पडिग्गहो ९. संसारपडिग्गहो १०. णंदावत्तं ११. विप्पजहणावत्तं। से त्तं विप्पजहणसेणियापरिकम्मे।
प्रश्न - विप्रजहन-श्रेणिका परिकर्म क्या है?
उत्तर - विप्रजहन-श्रेणिका परिकर्म के ११ भेद हैं। वे इस प्रकार हैं - १. पृथक् आकाशपद २. केतुभूत ३. राशिबद्ध ४. एक-गुण ५. द्वि-गुण ६. त्रि-गुण ७. केतुभूत ८. प्रतिग्रह ९. संसार प्रतिग्रह १०. नन्दावर्त ११. विप्रजहनआवर्त। यह विप्रजहन श्रेणिका परिकर्म है।
से किं तं चुयाचुयसेणियापरिकम्मे? चुयाचुयसेणियापरिकम्मे इक्कारसविहे पण्णत्ते, तं जहा -१. पाढोआगासपयाई २. केउभूयं ३. रासिबद्धं ४. एगगुणं ५. दुगुणं ६. तिगुणं ७. केउभूयं ८. पडिग्गहो ९. संसार पडिग्गहो १०. णंदावत्तं ११. चुयाचुयवत्तं। से त्तं चुयाचुयसेणियापरिकम्मे। __ प्रश्न - वह च्युत-अच्युत-श्रेणिका परिकर्म क्या है?
उत्तर - च्युत-अच्युत-श्रेणिका परिकर्म के ११ भेद हैं। वे इस प्रकार हैं - १. पृथक् आकाश पद. २. केतुभूत ३. राशिबद्ध ४. एक-गुण ५. द्वि-गुण ६. त्रि-गुण ७. केतुभूत ८. प्रतिग्रह ९. संसार . प्रतिग्रह. १०. नन्दावर्त्त ११. च्युत-अच्युत-आवर्त। यह च्युत-अच्युत-श्रेणिका परिकर्म है। (सर्वत्र ११ वें भेद में नामान्तर है। शेष भेद-नाम समान हैं)।
छ चउक्कणइयाई, सत्त तेरासियाइं। से त्तं परिकम्मे। अर्थ - इनमें आदि के छह परिकर्म चार नयिक हैं तथा सातवाँ परिकर्म त्रैराशिक है।
विशेष - इनमें आदि के छह परिकर्म स्व-समय वक्तव्यता निबद्ध थे - जैनमत बतलाते थे और अन्तिम सातवाँ च्युत-अच्युत श्रेणिका परिकर्म गोशालक समय की वक्तव्यता निबद्ध थागोशालक मत को बतलाता था।
यो परिकर्म के सब उत्तरभेद ८३ हुए। अब सूत्रकार इन में किन परिकर्मों का किन नयों से अध्ययन किया जाता था? यह बताते
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