Book Title: Nandi Sutra
Author(s): Parasmuni
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 295
________________ परिशिष्ट अनुज्ञा नंदी से किं तं अणुण्णा? अणुण्णा छव्विहा पण्णत्ता, तं जहा - १ णामाणुण्णा २ ठवणाणुण्णा ३ दव्वाणुण्णा ४ खेत्ताणुण्णा ५ कालाणुण्णा ६ भावाणुण्णा। प्रश्न - वह अनुज्ञा क्या है? (शिष्य, अपनी इच्छापूर्वक गुरुदेव से प्रार्थना करने पर गुरुदेव शिष्य को उसकी इच्छानुकूल जो अनुमति प्रदान करते हैं, वह अनुज्ञा है। शिष्य की इच्छा हो न हो फिर भी गुरुदेव उसे आदेश करते हैं, वह आज्ञा है। चालू भाषा में अनुज्ञा के लिए भी 'आज्ञा' शब्द का प्रयोग किया जाता है।) उत्तर - अनुज्ञा के छह भेद हैं। यथा - १. नाम अनुज्ञा २. स्थापना अनुज्ञा ३. द्रव्य अनुज्ञा ४. क्षेत्र अनुज्ञा ५. काल अनुज्ञा और ६. भाव अनुज्ञा। से किं तं १ णामाणुण्णा? जस्सणं जीवस्स वा, अजीवस्स वा, जीवाणं वा, अजीवाणं वा, तदुभयस्स वा, तदुभयाणं वा, अणुण्णत्ति णामं कीरइ। से तं णामाणुण्णा। प्रश्न - वह नाम-अनुज्ञा क्या है? उत्तर - (संज्ञा अनुज्ञा को 'नाम अनुज्ञा' कहते हैं) जैसे - 'जिस १. एक जीव का, या २. एक अजीव का या ३. अनेक जीवों का या ४. अनेक अजीवों का या ५. एक जीव और एक अजीव का या ६. अनेक जीवों और उनके अजीवों का नाम- अनुज्ञा' रखा जाता है, वह रखा जाता हुआ 'नाम' अथवा जिस पर वह नाम रखा जाता है, वह द्रव्य-'नाम अनुज्ञा' है। यह नाम अनुज्ञा है। से किं तं ठवणाणुण्णा? जण्णं कट्ठकम्मे वा पोत्थकम्मे वा, लेप्पकम्मे वा, चित्तकम्मे वा, गंथिमे वा, वेढिमे वा, पूरिमे वा, संघाइमे वा, अक्खे वा, वराडए वा, एगो वा, अणेगो वा, सब्भावट्ठवणाए बा, असब्भावट्ठवणाए वा, 'अणुण्णत्ति' ठवणा, ठविज्जइ। से त्तं ठवणाणुण्णा। प्रश्न - वह स्थापना अनुज्ञा क्या है? (आकार अनुज्ञा को 'स्थापना अनुज्ञा' कहते हैं।) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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