Book Title: Nandi Sutra
Author(s): Parasmuni
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 301
________________ २८४ नन्दी सूत्र *********HARIHARIHARANA दर्शित भाव के अनुसार कहा था, प्रज्ञप्त किया था, प्ररूपित किया था, दर्शित किया था, निदर्शित किया था, उपदर्शित किया था।" ___ जहा को दिटुंतो? अयं घय-कुंभे आसी, अयं महु-कुंभे आसी। से त्तं भविय सरीर दव्वाणुण्णा। प्रश्न - जो शरीर अनुज्ञापद या अनुज्ञानंदी के जानने वाले जीव से रहित है, उसे अनुज्ञा कैसे कह सकते हैं ? दृष्टांत देकर बताइए। उत्तर - जैसे कोई घड़ा है, उसमें पहले घी रखा जाता था, परन्तु अभी घी नहीं है (खाली है) तो भी लोग उसे भूतकाल की अपेक्षा कहते हैं कि - 'यह घी का घड़ा है' अथवा कोई घड़ा है, उसमें पहले मधु रखा जाता था, पर अभी मधु नहीं है, तो भी लोग उसे भूतकाल की अपेक्षा कहते हैं कि - 'यह मधु कुंभ है।' इसी प्रकार जो शरीर, अनुज्ञा पद या अनुज्ञा नंदी के ज्ञान से रहित है, उसे भी भूत की अपेक्षा 'अनुज्ञा' कह सकते हैं। यह ज्ञायक शरीर द्रव्य अनुज्ञा है। ... से किं तं भवियसरीर-दव्वाणुण्णा? भविय-सरीर-दव्वाणुण्णा - जे जीवे जोणि-जम्मण-णिक्खंते, इमेणं चेव सरीरसमुस्सएणं आत्तएणं जिणदिटेणं भावेणं, अणुण्णत्ति पयं सेयकाले सिक्खिस्सइ, ण ताव सिक्खइ। प्रश्न - वह भव्य-शरीर द्रव्य-अनुज्ञा क्या है? उत्तर - जो शरीर, अपने स्वामी जीव को, इसी भव में, भविष्य में अनुज्ञा पद या अनुज्ञा नंदी जानने में कारणभूत बनेगा, वह 'भव्य शरीर अनुज्ञा नंदी' है। उदाहरण - जैसे जो जीव, माता की योनि से जन्म पाकर गर्भ से बाहर निकल आया और अपने इसी प्राप्त शरीर से जिन भगवान् के कहे हुए भावों के अनुसार 'अनुज्ञा पद या अनुज्ञा नंदी' को भविष्यकाल में सीखेगा, पर अब तक सीख नहीं रहा है, उसे 'भव्य शरीर द्रव्य-अनुज्ञा' कहते हैं। जहा को दिटुंतो? अय घयकुंभे भविस्सइ, अयं महुकुंभे भविस्सइ। से तं भवियसरीरदव्वाणुण्णा? प्रश्न - जो जब तक अनुज्ञा पद या अनुज्ञा नंदी को सीखा ही नहीं, उसे अनुज्ञा कैसे कह सकते हैं ? दृष्टांत देकर समझाइए। ___ उत्तर - जैसे कोई घड़ा है, उसमें अब तक घी रखा नहीं गया है, पर भविष्य में रखा जायेगा, तो भी लोग उसे भविष्य की अपेक्षा कहते हैं कि - 'यह घी का कुंभ है' अथवा जैसे कोई घड़ा है, उसमें अब तक मधु रखा नहीं गया है, पर भविष्य में रखा जायगा, तो भी लोग उसे भविष्य की अपेक्षा कहते हैं कि - 'यह मधु का कुंभ है'। उसी प्रकार जो जीव अनुज्ञा पद या Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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