Book Title: Nandi Sutra
Author(s): Parasmuni
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 307
________________ ***************************** २९० नन्दी सूत्र ********* ** कारणम्मि तुढे समाणे, सीसं वा, सिस्सणियं वा, सभंडंमत्तोवगरणं अणुजाणिज्जा। से त्तं मीसिया लोगुत्तरिया दव्वाणुण्णा। से तं लोगुत्तरिया दव्वाणुण्णा। से तं जाणगसरीरभवियसरीर-दव्वाणुण्णा। से तं णो आगमओ दव्वाणुण्णा। सेत्तं दव्वाणुण्णा। प्रश्न - वह मिश्र लोकोत्तर द्रव्य अनुज्ञा क्या है ? उत्तर - जैसे - मान लो कोई आचार्य, उपाध्याय, प्रवर्तक, स्थविर, गणी, गणधर, गणावच्छेदक हैं, वे किसी शिष्य या शिष्या को किसी कारण से सन्तुष्ट होकर भाण्ड (मिट्टी के पात्र), मात्र । (लकड़ी के पात्र), उपकरण (रजोहरण आदि) सहित शिष्य या शिष्या की अनुज्ञा देते हैं अर्थात् अचित्त उपकरण सहित किसी शिष्य-शिष्या को उनकी निश्राय में, शिष्य-शिष्या के रूप में 'प्रदान करते हैं अथवा सेवा विचरण आदि के लिए पहले की गई साधु-साध्वी सम्बन्धी याचना को पूरी करते हैं। वह मिश्र लोकोत्तर द्रव्य अनुज्ञा है। ___यह लोकोत्तर द्रव्य अनुज्ञा है। यह ज्ञायक शरीर भव्य-शरीर व्यतिरिक्त द्रव्य अनुज्ञा है। यह नो-आगम से द्रव्य अनुज्ञा है। यह द्रव्य अनुज्ञा है। .. से किं तं खेत्ताणुण्णा? खेत्ताणुण्णा-जण्णं जस्स खेत्तं अणुजाणइ, जत्तियं वा खेत्तं अणुजाणइ। जम्मि वा खेत्तं अणुजाणइ। से त्तं खेत्ताणुण्णा। प्रश्न - वह क्षेत्र अनुज्ञा क्या है? उत्तर - जिस क्षेत्र विषयक अनुज्ञा दी जाती है, वह क्षेत्र अनुज्ञा है अथवा जितने क्षेत्र विषयक अनुज्ञा दी जाती है, जितना भूमि-भाग प्रदान किया जाता है, वह क्षेत्र अनुज्ञा है, अथवा जिस क्षेत्र में रह कर अनुज्ञा दी जाती है, वह क्षेत्र अनुज्ञा है। यह क्षेत्र विषयक अनुज्ञा है। से किं तं कालाणुण्णा? कालाणुण्णा, जण्णं जस्स कालं अणुजाणइ, जत्तियं वा कालं अणुजाणइ, जम्मि वा कालं अणुजाणइ, तं जहा - तीयं वा, पडुप्पण्णं वा, अणागयं वा, वसंतं वा, हेमंतं वा, पाउसं वा, अवस्थाण हेडं। सेत्तं कालाणुण्णा। प्रश्न - वह काल अनुज्ञा क्या है? उत्तर - जिस काल की या जितने काल की या जिस काल में अनुज्ञा दी जावे, वह काल अनुज्ञा है। जैसे रहने-ठहरने आदि के लिए-१. अतीतकाल विषयक अनुज्ञा २. वर्तमान काल विषयक अनुज्ञा और ३. अनागत काल विषयक अनुज्ञा अथवा १. जैसे रहने-ठहरने आदि के लिए १. वसन्त ऋतु विषयक अनुज्ञा या २. हेमन्त ऋतु विषयक अनुज्ञा और ३. वर्षाकाल विषयक अनुज्ञा। यह काल अनुज्ञा है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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