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मति ज्ञान - भविष्यवाणी
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दूसरा शिष्य अविनीत था। उसमें विनयादि गुण नहीं थे, इस कारण वह केवल शब्द ज्ञान ही प्राप्त कर सका। उसकी विनयजन्य बुद्धि का विकास नहीं हो सका। एक दिन गुरु की आज्ञा से वे दोनों किसी गाँव जा रहे थे। रास्ते में उन्हें किसी बड़े जानवर के पैरों के चिह्न दिखाई दिये। उन्हे देखकर विनयी शिष्य ने दूसरे पूछा।
- "मित्र! ये किसके पाँव हैं?" अविनीत ने कहा-"इसमें पूछने की क्या बात है? ये साफ हाथी के पैर के चिह्न दिखाई देते हैं।"
विनयी ने कहा-"मित्र! ये हाथी के पैर के चिह्न नहीं, किंतु 'हथिनी' के हैं। वह हथिनी बाँई आँख से कानी है। उस पर कोई राजघराने की सधवा स्त्री बैठी है। वह गर्भवती है। उसके मास पूरे हो चुके हैं। एक दिन में ही उसके पुत्र जन्मेगा।"
विनयी की बात सुनकर दूसरे ने अहंकारपूर्वक कहा-'वाह ! तुम बड़े ज्ञानी बन रहे हो। ये सब बातें किस आधार पर कह रहे हो?"
विनयी ने कहा-"मित्र! गुरु ने जो ज्ञान हमें सिखाया है, उसी के आधार से विवेकपूर्वक विचार करके मैं ये सारी बातें कह रहा हूँ। यदि तुमको विश्वास नहीं है तो आगे चलो। जब तुम इन सभी बातों को प्रत्यक्ष देखोगे, तो तुम्हें स्वतः विश्वास हो जायेगा।" .. वे दोनों उस गाँव में पहुंचे। जाते ही क्या देखते हैं कि गाँव के बाहर तालाब के किनारे किसी रानी का डेरा है। हथिनी खड़ी है और वह बाँई आँख से कानी है। उसी समय एक दासी ने आकर मन्त्री से कहा-"स्वामिन्! महाराज को पुत्र लाभ हुआ है। बधाई दीजिये।"
यह सनकर विनयी ने दूसरे से कहा-"मित्र! दासी का वचन सना?" उसने कहा-"हाँ मित्र! सुन लिया है। तुमने जो बातें कही थीं वे सब सत्य हैं।" . इसके पश्चात् वे दोनों तालाब में स्नानादि करके वट वृक्ष के नीचे विश्राम करने के लिए बैठ गये। उधर से मस्तक पर पानी का घड़ा रखे हुए एक बुढ़िया जा रही थी। उसने इन दोनों की आकृति देखकर सोचा कि ये दोनों विद्वान् हैं। इसलिए इनसे पूछना चाहिए कि परदेश गया हुआ मेरा पुत्र कब लौटेगा? ऐसा सोचकर वह उसके पास आई और विनयपूर्वक पूछने लगी। उसी समय उसके मस्तक पर से घड़ा गिर पड़ा और उसके टुकड़े-टुकड़े हो गये। यह देखकर अविनीत तुरन्त बोल उठा____ "बुढ़िये! जिस प्रकार घड़ा नष्ट हो गया है, उसी प्रकार तेरा पुत्र भी नष्ट हो गया है अर्थात् मर गया है।" । यह सुनकर विनयी ने कहा-"मित्र! ऐसा मत कहो। इसका पुत्र घर आ गया है।" फिर विनयी ने बुढ़िया से कहा-"माँ! घर जाओ और अपने बिछड़े हुए पुत्र का मुंह देखो।"
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