________________
२२८ ********
- नन्दी सूत्र
***************
अंगचूलिया, वग्गजूलिया, विवाहचूलिया, अरुणोववाए, वरुणोववाए, गरुलोववाए, धरणोववाए, वेसमणोववाए, वेलंधरोववाए, देविंदोववाए, उट्ठाणसुयं, समुट्ठाणसुयं, णागपरियावणियाओ, णिरयावलियाओ कप्पियाओ, कप्पवडंसियाओ, पुफियाओ, पुप्फचूलियाओ, वण्हीदसाओ, (आसीविसभावणाणं दिट्ठिविसभावणाणं, सुमिणभावणाणं, महासुमिणभावणाणं, तेयाग्गिणिसग्गाणं)।
प्रश्न - कालिक सूत्र कितने हैं?
उत्तर - कालिक शास्त्र अनेक हैं-१. उत्तराध्ययन २. दशाश्रुतस्कन्ध ३..बृहत्कल्प ४. व्यवहार ५. निशीथ ६. महानिशीथ ७. ऋषिभाषित ८. जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति ९. द्वीपसागरप्रज्ञप्ति १०. चन्द्रप्रज्ञप्ति ११. लघुविमानप्रविभक्ति १२. महाविमानप्रविभक्ति १३. अंगचूलिका १४. वर्गचूलिका १५. व्याख्याचूलिका १६. अरुणोपपात १७. वरुणोपपात १८. गरुड़ोपपात १९. धरणोपपात २०. वैश्रमणोपपात २१. वेलंधरोपपात २२. देवेन्द्रोपपात २३. उत्थानश्रुत २४. समुत्थानश्रुत २५. नागपरिज्ञा २६.-३०. निरयावलिकाएँ, कल्पिका, कल्पावतंसिका, पुष्पिता, पुष्पचूलिका तथा वृष्णिदशा ३१. आशीविष भावना ३२. दृष्टिविष भावना ३३. स्वप्न भावना ३४. महास्वप्न भावना ३५. तेजोनिसर्ग इत्यादि।
विवेचन - जो सूत्र दिन और रात्रि के पहले और चौथे प्रहर में ही पढ़ा जा सकता है, उसे 'कालिक सूत्र' कहते हैं, वे इस प्रकार हैं - १. उत्तराध्ययन-इसमें भगवान् महावीर की अन्तिम देशना है। २. दशाश्रुत स्कंध-इसमें २० असमाधि स्थान आदि का वर्णन है। ३. बृहत्कल्प-इसमें साधुसाध्वियों के कल्प का वर्णन है। ४. व्यवहार-इसमें साधु-साध्वियों के पाँच व्यवहार आदि का वर्णन है। ५. निशीथ-इसमें संयम में लगे दोषों के मासिक आदि प्रायश्चित्त का वर्णन है। ६. महा-निशीथयह निशीथ से सूत्र और अर्थ में विस्तृत था। ७. ऋषिभाषित-इसमें ऋषियों की वाणी थी। ८. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-इसमें जम्बूद्वीप के क्षेत्र की काल की और ज्योतिष की प्रज्ञापना है। ९. द्वीपसागर प्रज्ञप्ति-इसमें तिर्यक लोक के असंख्य द्वीप और असंख्य सागर के नाम क्षेत्र आदि की प्रज्ञापना थी। १०. चन्द्रप्रज्ञप्ति-इसमें चन्द्र के चाल आदि की प्रज्ञापना है। ११. लघु विमान-प्रविभक्ति-इसमें देवलोक के आवलिका प्रविष्ट और प्रकीर्णक विमानों के स्वरूप, संख्या आदि की प्रज्ञापना थी। १२. महाविमान प्रविभक्ति-यह लघु विमान प्रज्ञप्ति की अपेक्षा सूत्र से और अर्थ से विस्तृत था। १३. अंगलिका-इसमें आचारांग आदि अंगों के उक्त अनुक्त विषयों का संग्रह था। १४. वर्गचूलिका-इसमें अंतकृतदसा आदि वर्गात्मक सूत्रों के उक्त अनुक्त विषयों का संग्रह था। १५. व्याख्याधुलिका-इसमें भगवती सूत्र के उक्त अनुक्त विषयों का संग्रह था। १५. अरुणोपपात १७. वरुणोपपात १८. गरुडोपपात १९. धरणोपपात २०. वैश्रमणोपपात २१. वेलंधरोपपात
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org