________________
नन्दी सूत्र
बाँई ओर से प्रदक्षिणा करने लगा। कई शिष्यों का इस प्रकार विपरीत कथन सुन कर तथा विपरीत आचरण देख कर विनय बुद्धि संपन्न कलाचार्य समझ गये कि " राजा और सभी लोग मेरे विरुद्ध हैं।" "यह बात ये राजकुमार इस प्रकार विपरीत आचरण करके मुझे जता रहे हैं' - ऐसा सोच कर कलाचार्य मृत्यु योजना सफल हो इसके पूर्व ही वहाँ से चुपचाप रवाना होकर अपने घर चले गये । आचार्य की और राजकुमारों की यह विनयजा बुद्धि थी ।
१४. शव परीक्षा
१४४
********
Jain Education International
********************
(नेवे का जल )
कोई पुरुष अपनी नव-विवाहिता युवा स्त्री को छोड़ कर धन कमाने के लिए विदेश चला गया। धन कमाने में वह इतना गृद्ध बन गया कि बहुत वर्षों तक अपने घर नहीं लौटा। एक दिन उसकी स्त्री ने कामातुर बन कर अपनी दासी से किसी एक सुन्दर युवा पुरुष को लाने के लिए कहा। उसके कथनानुसार दासी, एकं वैसे ही सुन्दर पुरुष को बुला लाई। फिर नाई को बुला कर उस पुरुष के नख और केश कटवाकर स्नान करवाया। रात के समय वह स्त्री, उस पुरुष के साथ दूसरी मंजिल पर गई । कुछ समय के बाद उस पुरुष को प्यास लगी। उसने तत्काल बरसा हुआ मेघ का पानी पी लिया। उस पानी में सर्प का विष मिला हुआ था । इसलिए पानी पीते ही वह पुरुष विष से मर गया। इस आकस्मिक घटना से वह स्त्री बहुत भयभीत हुई। उसने दासी से सारी बात कही। तब दासी ने कहा 'आप इसकी चिंता नहीं करें। मैं सब ठीक कर लूँगी।" दासी ने उस शव को उठाया और किसी सूने मंदिर में ले जाकर रख आई । प्रातःकाल जब लोगों ने देखा, तो तुरन्त कोतवाल को सूचना दी। विनय बुद्धि वाले कोतवाल ने आकर देखा, तो मालूम हुआ कि इस मृत पुरुष के नख, केश आदि थोड़े ही समय पहले बनाये गये हैं । इस पर शहर के सभी नाइयों को पूछा गया, तो उनमें से एक ने कहा - "स्वामिन्! अमुक दासी के कहने से इसके नख केश आदि मैंने बनाये हैं।" इस पर उस दासी को बुला कर पूछा गया और सारा भेद खुल गया । इस प्रकार नख केशादि से मृतक पुरुष की परीक्षा करना, कोतवाल की वैनेयिकी बुद्धि थी ।
44
।
१५. राजकुमार का न्याय
( बैल, घोड़ा और वृक्ष )
किसी गाँव में एक पुण्यहीन पुरुष रहता था । एक दिन वह अपने मित्र से बैल माँग कर हल
*****************************************
-
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org