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मति ज्ञान - अवग्रह की दृष्टान्तों से प्ररूपणा
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निर्णय भी नहीं कर पाता कि 'अमुक शब्द कर रहा है।' उनकी ईहा-विचारणा भी नहीं कर पाता कि-'कौन शब्द कर रहा है ?' यहाँ तक कि वह उनका अर्थ अवग्रह भी नहीं कर पाता कि"किसी का शब्द है' मात्र उन शब्दों का उसके कानों से सम्बन्ध मात्र होता है। अतएव सिद्ध हुआ कि सबसे पहले धारणा, अवाय या ईहा नहीं होती, पर अवग्रह होता है, उसमें भी पहले व्यंजन अवग्रह होता है।
अब शिष्य 'अर्थ अवग्रह कितने समय में होता है'-यह पूछता है
तत्थ चोयगे पण्णवर्ग एवं वयासी-किं एगसमयपविठ्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति? दुसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति जाव दससमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति? संखिज्जसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति? असंखिज्जसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति? . अर्थ - इस प्रकार जब प्रज्ञापक आचार्य दृष्टांत दे रहे थे तब प्रश्नकार शिष्य यों बोला
क्या एक समय में श्रोत्र उपकरण द्रव्य इंद्रिय में प्रविष्ट शब्द पुद्गल अर्थ अवग्रह से जाने जाते हैं या दो समय में प्रविष्ट शब्द पुद्गल अर्थ अवग्रह से जाने जाते हैं या यावत् दस समय में प्रविष्ट शब्द पुद्गल अर्थ अवग्रह से जाने जाते हैं या संख्येय समय में प्रविष्ट शब्द पुद्गल अर्थ अवग्रह से जाने जाते हैं या असंख्येय समय में प्रविष्ट शब्द पुद्गल अर्थ अवग्रह से जाने जाते हैं ?
एवं वयंतं चोयगं पण्णवए एवं वयासी-णो एगसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति, णो दुसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति, जाव णो दससमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति, णो संखिज्जसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति, असंखिज्जसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति। से त्तं पडिबोहगदिटुंतेणं। - अर्थ - इस प्रकार पूछते हुए शिष्य को प्रज्ञापक आचार्य ने यों उत्तर दिया
एक समय में श्रोत्र उपकरण द्रव्य इंद्रिय में प्रविष्ट शब्द पुद्गल अर्थ अवग्रह से नहीं जाने जाते। दो समय में प्रविष्ट शब्द पुद्गल अर्थ अवग्रह से नहीं जाने जाते। यावत् दस समय में प्रविष्ट शब्द पुद्गल अर्थ अवग्रह से नहीं जाने जाते। संख्येय समय में प्रविष्ट शब्द पुद्गल भी अर्थ अवग्रह से नहीं जाने जाते। परन्तु असंख्येय समय में प्रविष्ट शब्द पुद्गल ही अर्थ अवग्रह से जाने जाते हैं।
. विवेचन - जघन्य, आवलिका के असंख्येय भाग में जितने असंख्य समय होते हैं, वहाँ तक उत्कृष्ट अनेक श्वासोच्छ्वास काल में जितने असंख्य समय होते हैं, वहाँ तक तो व्यंजन अवग्रह
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