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मारवाड़ का इतिहास राज-तिलक कुंकुम से किया । इस उत्सव के समय मारवाड़ के सरदारों और राजकर्मचारियों आदि के सिवा किशनगढ़ और बूंदी के महाराजा, खेतड़ी और सीकर के राजा, और अलवर, जयपुर, कोटा, सिरोही और ईडर नरेशों के प्रतिनिधि आदि भी उपस्थित थे।
उस समय महाराज की अवस्था १६ वर्ष की थी । इसलिये इनके चचा महाराज प्रतापसिंहजी 'मुसाहिब आला' (रीजेंट ) बनाए गए और राज्य का कार्य पुरानी 'काउन्सिलै' की सहायता से उनके तत्वावधान में होने लगा ।
वि० सं० १९५३ की चैत्र सुदि ११ (ई० स० १८१६ की २५ मार्च)
१. पहले आसोप का ठाकुर चैनसिंह युवक महाराजा का अङ्गरक्षक नियत किया गया और
उसके स्थान पर नींबाज का ठाकर छतरसिंह 'कोर्ट-सरदारान' का सहकारी 'जज' (न्यायाधीश) बनाया गया । परन्तु कुछ काल बाद आसोप-ठाकुर ने अस्वस्थता के कारण अवसर ग्रहण करलिया । इस पर रीयां का ठाकुर विजयसिंह महाराजा के पास
रक्खा गया। महाराजा सरदारसिंहजी की शिक्षा का काम कैटिन ए. बी. मेन (A. B. Mayne) को सौंपा गया । यह सहकारी रैजीडेंट का काम भी करता था।
२. 'मुसाहिब प्राला' के 'मिलिटरी-सैक्रेटरी' का काम महाराज दौलतसिंहजी को दिया गया। ३. उस समय 'काउन्सिल' में निम्नलिखित 'मैम्बर' थे:
पौकरन-ठाकुर मंगलसिंह, आसोप-ठाकुर चैनसिंह. कुचामन-ठाकुर शेरसिंह, नींबाजठाकुर छतरसिंह, पण्डित सुखदेवप्रसाद काक, मुंशी हीरालाल, कविराजा मुरारिदान, जोशी प्रासकरन, भंडारी हनवतचन्द, सिंघी बछराज, पण्डित माधोप्रसाद गुर्टू, पण्डित दीनानाथ
काक, मेहता अमृतलाल और पण्डित जीवानन्द । इसी वर्ष मुंशी हमीदुल्लाखाँ और मेहता गणेशचन्द 'काउन्सिल' के नए 'मैम्बर' बनाए गए । मेहता अमृतलाल के मरने पर उसका पुत्र मेहता पूंजालाल दीवानी का जज नियुक्त किया गया । पण्डित सुखदेवप्रसाद काक को 'रामो बहादुर' का खिताब मिला ।
मिस्टर टॉड के छुट्टी जाने पर बाबू छोटमल रावत रेल्वे का स्थानापन्न ऐसिस्टेंट मैनेजर' बनाया गया और भरतपुर-दरबार के मांगने पर लाला इन्दरमल, जो मेड़ते का हाकिम था, भरतपुरराज्य के 'सायर' (चुंगी) के महकमे का प्रबन्ध करने के लिये मेजा गया । ___ इसी वर्ष सिंघी सूरजमल के मरने पर उसकी जगह उसका पुत्र सुमेरमल 'सायर' (चुंगी) के महकमे का सुपरिन्टेंट नियुक्त हुआ।
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