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मारवाड़ का इतिहास
फागुन सुदि ५ (ई० स० १९३३ की १ मार्च) को जोधपुर-रेल्वे को बने ५० वर्ष हो जाने से उसकी 'जुबिली' मनाई गई । इसका उत्सव पाँच दिनों तक रहा।
चैत्र वदि ७ ( १८ मार्च ) को महाराजा साहब नरेन्द्र-मंडल में सम्मिलित होने के लिये दिल्ली गएं ।
वैशाख सुदि । ( ४ मई ) को रामोवहादुर रावराजा नरपतसिंह ने अपने कार्य से इस्तीफ़ा देदिया। इस पर ज्येष्ठ वदि १ (१० मई ) से संखवाय-ठाकुर माधोसिंह होम मिनिस्टर बनाया गया और मिस्टर यंग (J. W. Young ) चीफ मिनिस्टर नियुक्त
हुआ।
___ज्येष्ठ वदि १ ( १० मई ) से मारवाड़ की रियासत का नाम जोधपुर-स्टेट के बदले जोधपुर-गवर्नमेंट कर दिया गया और 'काउंसिल के मैंवर' 'काउंसिल के मिनिस्टर' कहाने लगे।
ज्येष्ठ वदि ७ ( १६ मई) को महाराजा साहब शिकार के लिये पूर्वी ऐफ्रिका गए और भादों सुदि ७ (२७ अगस्त) को वहां से लौटे। ___ आश्विन सुदि १ (२० सितंबर ) को चौथे महाराज-कुमार देवीसिंहजी का जन्म हुआ।
१. वि० सं० १९६० की वैशाख सुदि ११ ( ६ मई ) को लंदन में किशोर कुँवर बाई साहया
के गर्भ से जयपुर - नरेश के द्वितीय महाराज-कुमार का जन्म हुआ । इस पर जोधपुर में
मी हर्ष मनाया गया और किले से २५ तोपें चलाई गई। २. आपके वापस लौटने पर प्राश्विन वदि ८ (१२ सितंबर) को जनता ने एक विराट् सभा
कर आपका अभिनंदन किया। भाषाढ सुदि ३ । २६ जून ) को मिस्टर मैकेंजी के स्थान पर मिस्टर लोदियन (A. C. Lothian, C.I. E., I. C. S.) जयपुर और पश्चिमी राजपूताने की रियासतों का रंगीडेट नियुक्त हुआ। ३. इस खुशी में किले से १२५ तोपों की सलामी दी गई और दफ्तरों में ५ दिन की छुट्टी
की गई। वि० सं० १९६० के कार्तिक (ई. स. १६३३ के अक्टोबर ) में महागज विजयसिंहजी को अपनी जागीर में प्रथम श्रेणी के इखतियार दिए गए । यह १२,००० रुपये की रेख की जागीर इन्हें वि० सं० १९८८ (ई. म १९३१ ) में दी गई थी।
__माघ वदि ३० (ई० स० १६३४ की १५ जनवरी) को दिन के सवा दो बजे के करीब गोषपुर में भू-कम्म हुआ, परन्तु इससे किसी प्रकार की हानि नहीं हुई।
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