________________
मारवाड़ का इतिहास अवस्था को देख यद्यपि साथ वालों ने आपसे बन्दूक हाथ में ले-लेने की प्रार्थना की, तथापि आप खतरे की परवाह न कर बहुत समय तक कैमरे से चित्र खींचते रहे। परन्तु आपके सौभाग्य से, एक दूसरे बड़े भैंसे के मारे जाते ही, उस आक्रमणकारी महिष दल ने अपना रुख पलट लिया । फिर भी शिविर को लौटते समय इन क्रुद्ध हुए भैंसों के झुण्ड से बचने के लिये पूरी खबरदारी रखनी पड़ी। इस दल. ने पलट कर एक वार फिर आपकी टोली पर हमला किया था; परन्तु सौभाग्य से करीब ५० गज़ की दूरी पर से ही वह फिर लौट गया। ___ इसके बाद बरसात के समय से पूर्व ही शुरू हो जाने से महाराजा साहब को इस सफलता-दायक शिविर को नियत समय के पूर्व ही छोड़ देने का निश्चय करना पड़ा ।
( इसी स्थान पर महाराज अजितसिंहजी और मिस्टर हेवर्ड ने भी अपने मारे सींगों और अयालवाले पशुओं को सम्मिलित कर महाराजा साहब द्वारा किए गए शिकार की संख्या में वृद्धि की)।
यद्यपि बहिया के समय नदियों को पार करना उत्तेजनादायक था, तथापि यह एक श्रम-साध्य कार्य था। कभी-कभी पार्टी के वे लोग जो लॉरियों को पीछे से धकेलते थे, कंधों तक पानी में हो जाते थे । मार्ग की गीली, काली और चिकनी (Cotton soil) मिट्टी को पार करना जब खाली लॉरियों के लिये भी एक परीक्षा का कार्य था, तब लदी हुई लॉरियों के लिये तो यह और भी अधिक संकट का काम था। इसी से आपका कैंप दो दिनों में ५ मील से भी कम आगे बढ़ सका और एक दिन तो केवल नदी के इस पार से उस पार तक की ही यात्रा हुई ।
इस धीमी और कठिन यात्रा में भी भाग्य ने महाराजा साहब का साथ दिया। इसी से आपने मार्ग में एक बहुत ही शानदार भूरे अयाल वाले १ फुट ६ इंच लम्बे शेर का शिकार किया। ___ यद्यपि यह सिंह करीब १५ मिनट की योडीसी दौड़-धूप के बाद ही एक सघन झाड़ी में मारा गया था, तथापि यह एक ऐसी रोमाञ्चकारी घटना हुई कि आपकी उस १२ घंटों तक भैंसे का पीछा करते रहनेवाली उत्तेजना-वर्धक घटना से किसी कदर कम न रही । जिस प्रकार वे लोग ही, जिन्हें ऐसे कार्यों का अनुभव है, उस सघन जंगल में, जहां पर कमर ऊँची करके सीधा खड़ा होना भी कहीं-कहीं ही सम्भव हो सकता है, १२ घंटे तक बराबर शिकार का पीछा करते रहने के परिश्रम की वास्तविक
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com