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१६ राव वीरमदेवजी
( वि० सं० १६३५ १६५३=
ई० स० १५७८ - १५६६ )
१८ राव जगन्नाथजी
( वि० सं० १७०० - १७१३= ई० स० १६४३-१६५६ )
१६ शव पुंजाजी (तृतीय ) (वि० सं० १७१३-१७१४ ई० स० १६५६ - १६५७ )
१५ राव नारायणदासजी (द्वितीय)
( वि० सं० १६०८ - १६३५ ई० स० १५५१-१५७ = )
राठोड़ - नरेशों के वंशवृक्ष
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
१७ राव कल्याणमलजी
( वि० सं० १६५३-१७०० १५६६-१६४३ )
ई०
२२ राव करणसिंहजी
२० राव अर्जुनदासजी ( वि० सं०.७१४-१७१५ = ई० स० १६५७-१६५८ )
( वि० सं० १७२०-१७५२= ई०
(
० स० १६६३-१६६५ ) इन्हें राज्य का वास्तविक अधिकार प्राप्त न हो सका )
२१ राव गोपीनाथजी
( वि० सं० १७१५-१७२०
ई० स० १६५८-१६६३)
६६१
२३ राव चन्द्रसिंहजी
( वि० सं० १७५८ - १७८३ ई० स० १७०१-१७२६ )
( यह वास्तव में वि० सं० १७७४ में गद्दी बैठे थे और वि० सं० १७८३ में पौल गाँव में चले गए )
(१) यह वंश-वृक्ष अधिकांश में ईडर-राज्य से मिले वंश-वृक्ष के आधार पर तैयार किया गया है। अन्य ख्यातों में नम्बर से नम्बर ६ तक के राजाओं को भाई लिखा है ।
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