Book Title: Marwad Ka Itihas Part 02
Author(s): Vishweshwarnath Reu
Publisher: Archeaological Department Jodhpur

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Page 394
________________ शुद्धिपत्र नं० १. श्रावणादि और चैत्रादि संवतों का अन्तर । चैत्रादि संवत् ७ दिसम्बर पृष्ठ पंक्ति श्रावणादि संवत् ४०५ ५ वि० सं० १८६१ के प्राषाढ वि० सं० १८६२ के प्राषाढ (ई० स० १८०४ की जुलाई) (ई० स० १८०५ की जून-जुलाई) ४०५ १२ २ जनवरी २१ वि० सं १९११ वि० सं० १९१२ (ई० स० १८५४ की १ अप्रेल) (ई० स० १८१५ की २१ मार्च) ४६१ २१ वि० सं० १९१३ की प्राषाढ वदि ६ वि० सं० ११ १४ की प्राषाढ सुदि ६ (ई० स० १८५६ की २४ जून) (ई० स० १८५७ की २७ जून ) ११ २६ वि० सं० १९२२ की आषाढ वदि ६ वि० सं० १६१३ की आषाढ वदि १ (ई० स० १८६५ की १५ जून) (ई० स० १८६६ की २६ जून ) ४६५ १५-१६ वि० सं० १९३८ (ई० स० १८८१) वि० सं० ११३६ (ई० स० १८५२ में) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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