Book Title: Marwad Ka Itihas Part 02
Author(s): Vishweshwarnath Reu
Publisher: Archeaological Department Jodhpur

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Page 397
________________ पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध ४८२ २६ वि० सं० १६४६ के प्राषाढ (ई० स० वि० सं० १६४५ के प्राषाढ (ई० स० १८८४) १८८८) ४८२ ३१ तैयार हुआ। तैयार करने का प्रबन्ध हुमा । ४८३ २६ निश्चिय निश्चय ४८३ ३०-३२ इसके बाद होती रही। इसके बाद इसमें समय-समय पर रद्दो बदल होती रही। ४८५ १६ वदि ३ ( २२ अगस्त ) वदि २ ( २१ अगस्त ) ४८६ १८ महीनेभर तीन महीने ४५६ ये लोग ये कोटा, कोल्हापुर और भावनगरवाले ४८७ २४-२५ फुटनोट १ ४८८ १७ महाराज फागुन ( ." ) में फिर बूंदी फागुन ( ... ) में बूंदी-महाराज जोघगए थे। पुर पाए। ४६. १६ २२४६ २११६ ४६११ ६ ४६१ २७-२८ वदि १४ (ई. स. १८६४ की ६ मार्च) सुदि १४ (ई. स. १८६४ की २० मार्च) ४६२ ११ भटों भाटों ४६६३ सुदि ( कहीं-कहीं ) वदि ( भी लिखा मिलता है) ५०२ २८-२९ ४ (ई. स. १९०१ की २४ जनवरी) ६ (ई० स० १६०१ की २६ जनवरी) ५.३ १३ (C. B. Beatson ) (S. B. Beatson ) ५.५ १ ११५९ १६५६ ५१३ ३ किया किया। ५१५ २२-२३ १६ वर्नाक्यूलर और वर्नाक्यूलर २ मिडल, १४ अपर प्राइमरी, २ स्कूल लोअर प्राइमरी, ४० वर्नाक्यूलर प्राइमरी स्कूल ५१५ २७ १३५ करीब १३५ ५१६ ३० दीगई। ५२० दीगई। आसोप-ठाकुर चैनसिंह को रामो बहादुर को उपाधि मिली। Fortescue पौन प्राय वि० सं० १९७३ की मंगसिर वदि १ २७ Fortescu २२ प्राय २४ कार्तिक वदि ११ १२२ ५२७ १२४ ५३० ६४ १२ (Armistic ) ३ कार्तिक (Armistice) कार्तिक के अन्त Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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