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मारवाड़-राज्य के कुछ मुख्य-मुख्य महकमों का हाल
कोर्ट ऑफ़ वाईस और हैसियत ई० स० १९१८ में 'कोर्ट ऑफ़ वार्ड्स' और 'हैसियत कोर्ट' दोनों एक साथ करदी गई। इसके बाद ई० स० १९२२ में 'कोर्ट ऑफ़ वार्ड्स ऐक्ट' बनाया गया और इसी के अनुसार उपर्युक्त महकमे के प्रबन्ध में उन्नति की गई।
पहले 'कोर्ट ऑफ़ वार्ड्स' के सुपरिण्टैण्डैएट और उसके सहकारी का वेतन नाबालिगों की जागीरों की आमदनी से दिया जाता था। परन्तु ई० स० १९२५-२६ से वह राज्य से दिया जाने लगा और इससे उक्त महकमे के कर्मचारियों को भी 'प्रोवीडेंट फण्ड' का लाभ मिलने लगा।
ई० स० १९२६-२७ में नाबालिगों की शादी के फण्ड का प्रबन्ध किया गया और इस महकमे की और 'वाल्टर-कृत सभा' की आय से गरीब जागीरदारों के नजदीकी रिश्तेदारों की शादियों में सहायता व कर्ज देने का तरीका जारी किया गया ।
ई० स० १९३१-३२ में कोर्ट ऑफ़ वार्ड्स' और 'हैसियत की निगरानी के गांवों की हल्केबंदी की जाकर प्रबन्ध में और भी उन्नति की गई।
पहले अक्सर छोटे-छोटे जागीरदार कर्जदारों से बचने के लिये हैसियत के महकमे की शरण ले-लेते थे और उक्त महकमा उनकी जागीर से केवल नियत वार्षिक रुपया वसूल करके कर्जदारों में बांट दिया करता था । परन्तु ई० स० १९२३ में कर्जदार जागीरदारों की जागीरों का कानून (Encumbered Jagirdars' Estate Act) बनाया गया और इसके अनुसार इस महकमे के निरीक्षण में आनेवाला जागीरदार
आवश्यकतानुसार ३० वर्षों तक के लिये अपनी जागीर के प्रबन्ध से वश्चित कर दिया जाने लगा।
सहयोग-समिति ( Co-operative Department)। इसकी स्थापना, मारवाड़ में सहयोग समितियों का प्रचार कर, ग्रामीण-वर्ग को आर्थिक सहायता पहुंचाने और उन्हें महाजनों के ऋण से मुक्त करने के उद्देश्य से की गई है।
१. नाबालिग जागीरदारों की जागीरों का प्रबन्ध करनेवाला महकमा । २. कर्जदार जागीरदारों की जागीरों का प्रबन्ध करनेवाला महकमा । ३. यह जागीरदारों की कुरीतियों के निवारणार्थ स्थापन की गई थी।
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