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मारवाड़ राज्य के कुछ मुख्य-मुख्य महकमों का हाल
य-सचिव (रिवेन्यू मिनिस्टर ) के अधीन महकमे :
हवाला ।
ई० स० १९२१ से १९२६ तक जिस समय मारवाड़ के खालसे ( राज्य ) के गांवों का दुबारा 'सेटलमेंट' ( पैमाइश ) किया गया, उस समय उनके सारे ही रकबे को मुस्तकिल और गैर मुस्तकिल हिस्सों में बांट दिया गया और 'बापीदारों' और 'गैर बापीदारों' के अधिकार तथा उनके लगान का निर्णय करदिया गया । इस प्रबन्ध से लगान की आय ११,९३,०९९ रुपये से बढ़कर १६,४२, ३४७ रुपये तक पहुँच गई । इसके साथ ही बगैर लगान की, 'शासन' आदि में दी हुई, भूमि की भी जांच की गई । इसके बाद लगान वसूली का काम परगनों के हाकिमों को सौंपा गया, परन्तु उनके कागजात ( Records ) का काम हवाले के महकमे के पास ही रहा । इसके अलावा हवाले के काम की सुविधा के लिये खालसे के कुल गांव १६ 'सर्कलों' में बांट दिए गए और उनकी देख-भाल के लिये एक-एक 'दारोगा' नियुक्त किया गया । साथही हवालदारों का नम्बर बढ़ाकर १८८ के स्थान पर २७० कर दिया गया और हवाले के तमाम अफ़सरों के काम के और रेकर्डों के लिये अलग-अलग फॉर्म निश्चित कर दिए गए ।
पहले लिखा जा चुका है कि महाराजा ( उम्मेदसिंहजी ) साहब ने ई० स० १९२९ के नवंबर में अपने नवीन राज-महल के शिलारोपण के समय उपर्युक्त 'सैटलमेंट' के पहले की 'खरड़ा', 'घासमारी', आदि कई लागों के मद में निकलनेवाली करीब ८ लाख रुपये की रकम और वि० सं० १९७२ की कहतसाली के समय कुँ आदि बनवाने को दी हुई तकावी की करीब १ लाख की रकम माफ़ कर दी ।
ई० स० १९२३ की शाही 'सिलवर जुबिली' के उत्सव पर भी दरबार ने करीब ३ लाख रुपये 'ट्रिब्यूट' ( Tribute ) के और २,२३,५४८ रुपये हवाले के, लगान व तकावी ध्यादि के, माफ कर दिए ।
ई० स० १९३६ में दरबार की तरफ़ से जागीरों और खालसे के गांवों पर लगने वाली टीके ( Vaccination ) आदि की अनेक लागें भी, जिनकी सालाना श्रमदनी ३१,२०० रुपये थी, माफ़ कर दी गई ।
१. पहले-पहल राज्य की सरहद और खालसे के गांवों का लगान निश्चित करने के लिये ६० स० १८८५ से १८६५ तक मारवाड़ की पैमाइश की गई थी ।
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