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मारवाड़ का इतिहास न्याय-सचिव (जुडीशल-मिनिस्टर) के अधीन महकमे.
न्याय विभाग।
चीफ़ कोर्ट इस समय मारवाड़-राज्य की चीफ़ कोर्ट में एक चीफ़ जज और दो प्यूनी ( puisne', जज हैं । इस अदालत को सिवाय जागीरदारों के जागीर या गोद के मामलों के और सब प्रकार के दीवानी मामलों पर विचार करने का अधिकार है । इसके फैसलों की अपील महाराजा साहब के सामने उसी अवस्था में हो सकती है, जिस अवस्था में यह उसके लिये अनुमति प्रदान करदे । फौजदारी मामलों में इस कोर्ट को उमर कैद-तक की सजा देने का अधिकार है, परन्तु फांसी की सजा में महाराजा साहब की अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होता है ।
इजलास खास पहले अपीलें और अर्जियां महाराजा साहब के 'प्राइवेट सैक्रेटरी' के पास पेश की जाती थीं, परन्तु ई० स० १९३३ से 'इजलास-ए-खास' नाम का एक जुदा महकमा स्थापित किया गया, जो इस समय प्रधान मन्त्री के अधीन है। ई० स० १९३६ से इसके कार्य की सुविधा के लिये एक 'लीगल एडवाइजर' मी नियुक्त किया गया है।
डिस्ट्रिक्ट और सैशन कोर्ट ई० स० १९२४ में दीवानी और फौजदारी अदालतों और 'कोर्ट सरदारान' के स्थान पर ब्रिटिश-भारत के तरीके पर ३ डिस्ट्रिक्ट और सैशन कोटों की स्थापना की गई । ई० स० १९३६ में इनकी संख्या ४ कर दी गई और इसके बाद जनता के सुभाने के लिये इनमें का एक कोर्ट नागोर मेज दिया गया । कुछ ही समय बाद दूसरे दो कोटी को भी क्रमशः सोजत और बालोतरा मेज देने का विचार हो रहा है । इन अदालतों के न्यायधीशों को सब तरह के दीवानी मामलों के निर्णय करने का अधिकार है । फौजदारी सीगे में ये उमर कैद तक की सजा दे सकते हैं । परन्तु उस पर चीफ कोर्ट की मंजूरी भावश्यक होती है ।
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