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महाराजा उम्मेदसिंहजी कदर कर सकते हैं, उसी प्रकार वे मुक्त-भोगी ही, जिन्होंने ऐसे सघन जंगल में शेर को मरा या जीवित जाने वगैर ही उसका पीछा किया है, उपर्युक्त १५ मिनट को उत्तेजना का अन्दाज़ लगा सकते हैं ।
महाराजा साहब के अपनी पार्टी के साथ नैरोबी पहुँचने पर वहां के गवर्नर ने आपका स्वागत किया। यहां से सब लोग फागुन सुदि ४ (८ मार्च) की सुबह इम्पीरियल एअर वे के, सप्ताह में दो बार चलने वाले, हवाई जहाज द्वारा खाना हुए। परन्तु इसके पूर्व महाराजा साहब ने राजधानी के निकट के रक्षित वन में घूमने वाले शिकारोपयोगी पशुओं के सुन्दर चित्र भी खींचे थे। यहां से चलने पर आपका पहला पड़ाव खारटूम (Khartoum) में हुआ और सब लोग रातभर वहां रहे । उस स्थान पर महाराजा साहब ने अपना रात्रि का भोजम वहां के गवर्नर-जनरल के साथ, उस पुराने और प्रसिद्ध महल में किया, जिसमें जनरल गौर्डन ( Gordon ) और फील्ड मार्शल लॉर्ड किचनर (Kitchener) के स्मारक रक्खे हुए हैं । वहां के चिड़िया घर में मेजर बारकर (Barker) का अपने एक चीते के पिंजरे में बिना हिचकिचाहट के घुसकर उसे खुजाना देख सबको बड़ा आश्वर्य हुआ। यहां पर भी महाराजा साहब ने दिन में पहले हवाई जहाज़ द्वारा नाइल के ऊपरी हिस्से के आई- भूभाग ( Swamps) में रहनेवाले सैकड़ों हाथियों के झुण्डों के चित्र खींचे ।
कारो (Cairo) पहुँचने के पूर्व एक रात लक्सोर (Luxor) में भी ठहरना पड़ा । परन्तु कारो पहुँचने पर महाराजा साहब को मिस्र (Egypt) की उस राजधानी को, जहां पर आप ई० स० १९१२ की कड़ी बीमारी के बाद स्वास्थ्य लाभ के लिये लाए गए थे, दुबारा देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई । महाराज अजितसिंजी का इसे देखने का यह पहला ही अवसर था । यद्यपि कारो के प्रसिद्ध होने के कारण उसके विषय में कुछ लिखना अनावश्यक ही होगा, तथापि यह प्रकट करना अनुचित न होगा कि यहां पर महाराजा साहब ने एक सप्ताह के निवास में जितना कुछ देखा जा सकता आपने था, सब देख डाला । आप विशाल पिरामिड (Great Pyramid ) पर चढ़े, तुतनखामन (Tutankhaman) के समय की वस्तुओं वाला अजायबघर देखा, और आप नाइल का बांध (Dam) देखने को भी गए। आपके कारो पहुँचने पर वहां के हाई कमिश्नर (High Commissioner), सेनापति ( General Officer Commanding) और टर्फ क्लब (Turt Club) ने, जिसके कि आप ऑनरेरी सभासद बनाए गए,
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