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मारवाड़ का इतिहास
प्रत्येक महकमे में होनेवाली आमदनी और खर्च की जांच के लिये 'लोकल ऑडिट स्टाफ़' नियत किया गया है । यह सालाना प्रत्येक महकमे और खजाने में होनेवाली आमदनी और खर्च की जांच कर 'ऑडीटर' के पास अपनी रिपोर्ट पेश करता है और आवश्यकता होने पर ठीक तौर से हिसाब रखने के लिये उचित सलाह भी देता है।
'ऑडिट ऑफ़िस मैन्युअल' और 'जोधपुर गवर्नमेंट सर्विस रेगूलेशन' आदि के प्रकाशित हो जाने से राज्य-कर्मचारियों को बड़ी सुविधा हो गई हैं और 'ऑडिट
ऑफिस' के परिश्रम से शीघ्र ही एक बड़ी ' ऐकाउण्ट्स मैन्युअल' मी प्रकाशित होनेवाली है।
राज्य के अफसरों और अहलकारों के लिये जिस 'प्रोविडेंट फंड' और छोटे दर्जे के कर्मचारियों के लिये जिस 'ग्रैच्यूटी' (Gratuity ) का प्रबन्ध किया गया है उसका हिसाब भी इसी महकमे में रहता है । इसके अलावा राज्य कर्मचारियों को मकान आदि बनवाने के लिये कम सूद पर रुपये देने का प्रबन्ध मी यहीं से होता है। ___हाल ही में इस महकमे के उद्योग से राज्य-कर्मचारियों के लिये एक सहयोग समिति ( Umaid Cooperative Credit Society ) भी बनगई है और शीघ्र ही उनके लिये एक बीमा ( Life assurance ) विभाग भी स्थापन किया जानेवाला है।
इस अर्थ विभाग द्वारा राज्य के वार्षिक आय-व्यय का चिट्ठा इस खूबी से तैयार किया जाता है कि राज्य का सारा काम सुचारु रूप से चल रहा है।
इस समय इस महकमे का खास दफ्तर 'इम्पीरियल बैंक' के पास बने नए 'सिलवर जुबिली ब्लॉक' में स्थित है ।
सहयोग-समिति (Cooperative Dept.) वि० सं० १९८३ ( ई० स० १९२६ ) में पहले-पहल मारवाड़ में 'को-ओपरेटिव कैडिट सोसाइटी' का कानून बनाकर 'जोधपुर रेल्वे-को-ओपरेटिव क्रैडिट सोसाइटी' की स्थापना की गई । इसके बाद वि० सं० १९९४ ( ई० स० १९३७ ) में राज-कर्मचारियों के सुभीते के लिये ' उम्मेद को-ओपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी' कायम हुई । इस समय इसके मैंबरों की संख्या १,७०० तक पहुँच गई
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