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मारवाड़ का इतिहास
गत वर्ष इस रेल्वे की कुल आमदनी ८४, १३,७८७ और खर्च ४०,८७,५६१ रुपये हुआ था । इससे जोधपुर - दरबार को ४४,०६,११६ रुपये का मुनाफ़ा
रहा ।
मुख्य जेल (Central Jail ).
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इस महकमे के प्रबन्ध में अच्छी उन्नति की गई है। कैदियों को दिए जाने वाले भोजन और सुविधाओं में भी सुधार हुआ है । ई० स० १९२४ में खास-खास उत्सवों पर छोड़े जानेवाले कैदियों के नियम बनाए गए और ई० स० १९३२ में मारवाड़ जेल के कानून अंगीकृत हुए । अब शीघ्र ही ' जेल मैन्यूअल' भी बनकर तैयार होने वाली है ।
इस समय तक जेल फैक्टरी में कैदियों द्वारा बनाई जाने वाली उपयोगी वस्तुओंजैसे रेशमी व सूती कपड़ों, दरियों, निवारों, रस्सियों, तौलियों, लोइयों, बेत की कुर्सियों आदि की बनावट में भी अच्छी उन्नति हुई है, और इससे राज्य में उनकी मांग बढ़ने के साथ ही दूसरी रियासतों और ब्रिटिश भारत से भी मांग आने लगी है ।
स्टेट होटल.
संसार में हवाई जहाज़ों की उन्नति होने और जोधपुर में हवाई जहाज का स्टेशन ( Aerodrome ) बन जाने से यहां पर ठहरनेवाले हवाई जहाज़ों की संख्या बहुत बढ़ गई है । इसी से हवाई यात्रियों की सुविधा के लिये ई० स० १६३१ में 'यूरोपियन गैस्ट हाउस' की एवज़ में आधुनिक सुविधाओं से पूर्ण 'स्टेट होटल' की स्थापना की गई है।
ई० स० १९३५ के अक्टोबर से १९३६ के सितम्बर तक =६३ हवाई जहाज़ों ने यहां के हवाई स्टेशन का उपयोग किया और ३१६६ यात्री 'स्टेट- होटल' में ठहरे ।
दस्तरी का महकमा.
इसमें राज्य सम्बन्धी ख़ास ख़ास घटनाओं का विवरण लिखा जाता है । हालही में इसकी सामग्री को ठीक तौर से जमाने के लिये इसके प्रबन्ध में परिवर्तन किया गया है ।
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