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मारवाड़ का इतिहास
वि० सं० १९९३ की माघ सुदि १ ( ई० स० ११३७ की १२ फरवरी) को जॉर्ज ने महाराजा साहब को अपना सहचर ( A. D. C. ) नियुक्त किया ।
सम्राट्
वि० सं० १९९४ की चैत्र सुदि १ ( ई० स० १९३७ की १९ अप्रेल ) को महाराजा साहब सम्राट् जार्ज षष्ठ के राज्याभिषेकोत्सव में सम्मिलित होने के लिये, हवाई जहाज़ से, लंदन को रवाना हुए। इस यात्रा में महारानी साहब भी आपके साथ थीं | वहां पर वि० सं० १९९४ की वैशाख सुदि २ ( १२ मई ) को नवीन सम्राट् का राज्याभिषेक हुआ । उसमें भाग लेने के कारण सम्राट् की तरफ़ से महाराजा साहब को राज्याभिषेकोत्सव - संबन्धी पदक ( Coronation medal ) से भूषित किया गया और महारानी साहबा को फीता ( ribbon ) और साड़ी पर लगाने का कांटा ( brooch ) भेट किया गया ।
वि० सं० १६६३ की चैत्र वदि ३० ( ई० स० १६३७ की ११ अप्रैल ) को यहां के रैज़ी - डैंट विटिक (Lt-Col,M. Wightwick, I. A. ) के छुट्टी जाने पर उसके स्थान पर लैफ्टिनेंट कर्नल गिलन ( Lt. -Col. G. V. B. Gillan, C. I. E. ) नियुक्त हुआ ।
वि० सं० १६६४ की चैत्र सुदि ३ ( ई० स० १६३७ की १३ अप्रैल) को चीफ मिनिस्टर सर डोनाल्ड फील्ड (LŁ. - Col. Sir Donald Field, C. I. E. ) राजकीय कार्य से लंदन गया और आषाढ सुदि ५ ( १२ जुलाई ) को वहां से लौटा । इस अवसर के बीच इसका कार्य ठाकुर माधोसिंह ( संखवाय ) गृह सचिव ( होम मिनिस्टर ) के तत्वावधान में होता रहा ।
१. वि० सं० १६६३ की माघ सुदि १५ ( ई० स० १६३७ की २५ फरवरी) को बंबई प्रान्त के गवर्नर लॉर्ड ब्रेबोर्न ( Lord Brabourne, G. C. I. E, M. C. ) का यहां आगमन हुआ और दूसरे दिन वह यहां से लौट गया ।
३१ मार्च को खाँसाहब फ़ीरोज़शाह को जोधपुर दरबार की सेवा से अवसर ग्रहण करने पर उसकी सेवाओं के उपलक्ष्य में ३५० ) रुपये माहवार की पैनशन दी गई ।
२. इसी अवसर पर महाराज अजित सिंहजी, लैफ्टिनेंट कर्नल सर डोनाल्ड फील्ड (चीफ मिनिस्टर जोधपुर ), और रामराजा हनूत सिंह को भी कौरोनेशन मेडल मिले ।
साथ ही कैप्टिन रावराजा हनूत सिंह को 'रामबहादुर और खाँबहादुर कोठावाला (इन्स्पेक्टर जनरल पुलिस को ओ. बी. ई. (O BE ) की उपाधियां मिलीं ।
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उसी दिन प्रातःकाल जोधपुर में भी सम्राट् जॉर्ज षष्ठ का राज्याभिषेकोत्सव मनाया गया । इस अवसर पर जल के अलावा किले से १०१ तोपों की सलामी दागी गई, विद्यार्थियों को मिठाई और गरीबों को भोजन दिया गया । उन गरीब माताओं को जिन्होंने हाल ही में प्रसव के समय 'मातृरक्षिणी सभा' की दाइयों से सहायता ली थी रुपयों की मदद दी गई, मंदिर, मसजिद और गिरजे में एकत्रित होकर प्रार्थनाएं की गई और राज्य के दफ्तरों आदि में ३ दिनों की छुट्टी दी गई ।
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