________________
मारवाड़ का इतिहास
वि० सं० १९६४ के चैत्र (ई० स० १६०८ के मार्च ) में सरदार शंशेरसिंह का कार्य-काल समाप्त होजाने पर, उसके स्थान पर बाबू रघुवंशनारायण नियुक्त किया गया और सरदार-रिसाले के 'कमांडिंग ऑफीसर, ठाकुर जससिंह की मृत्यु होजाने से, उसके स्थान पर, संखवाय का ठाकुर प्रतापसिंह रिसाले की पहली रैजीमैंट का सेनापति बनाया गया ।
वि० सं० १९६५ की वैशाख वदि १ (ई० स० १९०८ की १७ अप्रेल ) को महाराजा सरदारसिंहजी का विवाह उदयपुर के महाराना फ़तैसिंहजी की कन्या से हुआ । उस अवसर पर दोनों राज्यों में खूब उत्सव मनाया गया ।
आषाढ ( जून ) में सम्राट् एडवर्ड सप्तम के जन्मोत्सव पर आप (महाराजा सरदारसिंहजी) के. सी. एस. आइ. की उपाधि से भूषित किए गए।
दस वर्ष बरसात में वर्षा अधिक होने से कायलाना नामक झील के बांधपर से खब पानी बहा और उस तरफ़ ( गवां और बागां में ) रहने वाले लोगों के घर पानी से घिर गए। इसकी सूचना मिलते ही दयालु-प्रकृति महाराजा स्वयं वहां जा पहुंचे और सरकारी नावें मँगवाकर पानी से घिरे लोगों और उनके सामान का उद्धार करवाया । पानी की अधिकता होने से इस वर्ष मारवाड़ में 'फ़सली-बुखार' का प्रकोप रहा।
कार्तिक सुदि ८ (१ नवम्बर) को भारत का तत्कालीन गवर्नर-जनरल' और 'वायसराय' लॉर्ड मिंटो जोधपुर आया । इस पर दरबार की तरफ़ से उसका बड़ी धूमधाम से स्वागत किया गया ।
१. मारवाड़ दरबार की सेवा के उपलक्ष में इसे गवर्नमेंट से 'सरदार साहब' की उपाधि मिली। २. इस वर्ष ईडर के महाराजा प्रतापसिंहजी और किशनगढ़-नरेश जोधपुर आए ।
वि० सं० १६६५ के चैत्र शुक्ल (ई० स० १६०८ के अप्रेल) में पश्चिमी राजपूताने की रियासतों के रैजीडेंट लैटिनेंट कर्नल स्ट्रेटन (W.C.R.Stratton) के छुट्टी चले जाने पर राज्य कार्य के बड़े मामलों की देख-भाल स्थानापन्न रैजीडैट मिस्टर कौब (H.V. Cobb) करने लगा। परन्तु आश्विन वदि (सितम्बर) में उसके कश्मीर में नियुक्त होजाने पर उसके स्थान पर मिस्टर गेबील (V. Gabriel) यहां का रैजीडैट नियुक्त हुआ।
भादों ( १६०८ के अगस्त ) में महाराजा ने पोलो खेलने के लिये पूना की यात्रा की।
इसी वर्ष (ई० स० १६०८ में ) मारवाड़ और सिरोही के बीच एक दूसरे के अपराधियों को एक दूसरे को सौंप देने के बाबत संघि हुई ।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com