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महाराजा उमेदसिंहजी इन्हीं दिनों यूरोपीय महासमर के परिणाम स्वरूप भारत में भी प्रत्येक वस्तु का भाव बहुत चढ़ गया था। इस पर वि० सं० १९७७ की द्वितीय सावन वदि ७ ( ई० स० १९२० की ६ अगस्त) को जोधपुर राज्य के अर्थ-सचिव कर्नल हैमिल्टन की सलाह से राज-कर्मचारियों के वेतन में अच्छी वृद्धि की गई।
वि० सं० १९७७ की आश्विन वदि ३ ( ई० स० ११२० की ३० सितंबर) को महाराज जालिमसिंहजी ने 'रीजैंसी काउंसिल' से इस्तीफा दे दिया। इस पर कार्तिक वदि १३ ( ८ नवंबर) को महाराज फ़तैसिंहजी 'होम-मैंबर' बनाए गए ।
कार्तिक सुदि ३ (१३ नवंबर ) को पण्डित सुख देवप्रसाद काक 'जुडीशल' और 'पोलिटिकल-मैंबर' नियुक्त हुआ और 'रिवैन्यू-मैंबरी' का काम मिस्टर डी. ऐल. ड्रेक ब्रोकमैन ( D. L. Drake Brockman ), आइ. सी. एस. को सौंपा गया ।
कार्तिक सुदि ६ (१७ नवंबर ) को कर्नल हैमिल्टन ( R. E. A. Hamilton, C I. E.) के छुट्टी जाने पर चैत्र वदि ३ ( ई० स० १९२१ की २६ मार्च ) को उसके स्थान पर मेजर लॉयल (R. A. Lyall, I. A., D. S. O. ) अर्थ-सचिव नियुक्त किया गया।
वि० सं० १९७७ की कार्तिक सुदि ६ ( ई० स० १९२० की १७ नवंबर) को महाराजा साहब अजमेर से जोधपुर आए और कार्तिक सुदि १ (२० नवंबर ) को भारत के 'वायसराय' और 'गवर्नर जनरल' लार्ड चैम्सफोर्ड का यहां पर आगमन
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इस वर्ष की गरमियों में महाराजा साहब उटकमंड गए और वहां पर आपने माइसोर के ऐतिहासिक स्थानों का निरीक्षण किया । आश्विन ( अक्टोबर ) में (दशहरे के उत्सव पर) श्रीमान् फिर अजमेर से जोधपुर पाए । इसके बाद आप कुछ दिन यहां रहकर भरतपुर होते हुए अजमेर लौट गए । १. ई. स. १६२० के जून में जोधपुर की 'पोलोटीम' ने आबू पर के 'पोलो टूर्नामेंट' में
विजय प्राप्त की। २. इस वेतन वृद्धि का हिसाब इस प्रकार रक्खा गया थाः
१ से ३० रुपये तक के वेतन पाने वालों को ३५ रुपये सैंकड़ा । ३१ से ५० रुपये तक के वेतन पाने वालों को ३० रुपये सैंकड़ा। ५१ से १.० रुपये तक के वेतन पाने वालों को २५ रुपये सैंकड़ा । १.१ से २.० रुपये तक के वेतन पाने वालों को २० रुपये सैंकड़ा।
२०१ से ६०० रुपये तक के वेतन पाने वालों को १५ रुपये सैंकड़ा। ३. यह 'रिवैन्यू-सैटलमैंट' के लिये यू. पी. से बुलवाया गया था।
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