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मारवाड़ का इतिहास
कार्तिक ( नवंबर ) में लाला रामचन्द्र, सुपरिन्टैन्डेंट पुलिस, ने बड़ी मुस्तैदी से जामनगर के मकरानी डकैतों का पीछा किया और बाद में ठाकुर बखतावरसिंह और कानसिंह भी उसके साथ हो लिए । इसके बाद इन्होंने सिंध-प्रान्त में घुसकर इस डाकू-दल को नष्ट कर डाला।
कार्तिक सुदि ४ (१६ नवंबर ) को महाराजा साहब, मय कुटुम्ब के, लंदन से रवाना होकर मंगसिर वदि ५ (१ दिसंबर ) को जोधपुर पहुँचे । इस पर राज-कर्मचारियों, नगर-वासियों और छात्र-गणों ने स्टेशन पर उपस्थित हो, बड़े आदर, प्रेम
और उत्साह से आपका स्वागत किया। ___ माघ वदि १ ( ई० स० १९२६ की २६ जनवरी ) को महाराजा साहब ने एक आम दरबार कर सीकर-निवासी डकैत भूरसिंह के दल को नष्ट करने वाले मारवाड़-पुलिस के अफसरों और मुलाजिमों को १५,६०० रुपये का इनाम बांटा । इसमें का कुछ रुपया अन्य रियासतों ने, जो इस दल की लूट-मार से तंग आ गई थीं. भेजा था। इसी अवसर पर दरबार ने मालकम रतनजी कोठावाला, इन्सपैक्टर जनरल जोधपुर-पुलिस, की सेवाओं से प्रसन्न होकर उसे सोना और ताज़ीम दी ।
माघ वदि १४ ( ८ फरवरी ) को महाराजा साहब नरेन्द्र-मण्डल की सभा में सम्मिलित होने को दिल्ली गएं।
१. इस पर जामसाहब रणजीतसिंहजी ने लाला रामचन्द्र को एक तलवार और सरोपाव दिया
और उन्हीं की इच्छानुसार उनके उत्तराधिकारी ने खाँ बहादुर कोठावाला, इन्सपैक्टर जनरल-पुलिस, को एक सुवर्ण-पदक प्रदान किया । इस कार्य में चौहटन के ठाकुर सुलतानसिंह और रामसर के ठाकुर जवाहरसिंह ने भी पुलिस की अच्छी सहायता की थी।
इससे प्रसन्न होकर जोधपुर-दरबार ने उन्हें एक-एक बंदूक (Rile) इनाम में दी। २. आपका ‘कैसरेहिंद' जहाज़ मँगसिर वदि ४ ( ३० नवंबर ) को बंबई पहुँचा था । ३. महाराजा साहब ने रेल से उतरते ही पहले उपस्थित लोगों का हार्दिक अभिनंदन ग्रहण
किया और फिर किले पर स्थित अपनी कुल-देवी चामुण्डा के दर्शन कर अपने महल
(राई के बाग ) में प्रवेश किया। इस वर्ष भी जोधपुर की 'पोलोटीम ने मेयो कालिज (अजमेर) के खेल में विजय प्राप्त की।
पौष वदि ६ (ई० स० १९२६ की १ जनवरी) को ठाकुर बखतावरसिंह, सुपरिंटैंडैट-पुलिस, को बादशाही पुलिस मैडल (King's Police Medal) मिला ।।
४. यह दरबार पुराने 'पब्लिक-पार्क' में किया गया था। ५. माघ सुदि ८ (१७ फरवरी) को आप दिल्ली से वापस आए।
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