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महाराजा उमेदसिंहजी “कैप्टिन हिज हाइनेस राजराजेश्वर महाराजाधिराज महाराजा सर उमेदसिंह बहादुर नाइट कमान्डर ऑफ़ दि रोयल विक्टोरियन ऑर्डर" ।
इस अवसर पर किले से १९ तोपों की सलामी दी गई। इसके बाद दरबार ने अपने भाषण में ज़मीन के लगान और रेख और चाकरी के खाते में निकलने वाले ३,००,००० रुपये माफ़ करने और स्कूलों और अन्य धार्मिक कार्यों के लिये ५०,००० रुपये की ख़ास तौर पर सहायता देने की घोषणा की।
इसी दिन ' रीजेंसी काउंसिल' का कार्य-काल समाप्त हो जाने से महाराजा साहब ने उसके स्थान पर ' राज्य परिषद् ' ( काउंसिल ऑफ़ स्टेट ) की स्थापना कर पुराने 'मैंबरों' को ही उस का सभासद नियत कर दिया । परन्तु उसके सभापति का पद स्वयं आपने ग्रहण किया और इसकी सूचना आदि निकालने ( कनवीनिंग - मैंबर ) का काम पंडित सुखदेवप्रसाद काक को सौंपा। यद्यपि इस सभा के 'मैंबरों' को यथा- पूर्व ही अपनेअपने कामों की देख-भाल करने के अधिकार दिए गए थे, तथापि इसके प्रस्ताव परामर्श के तौर पर ही माने जाते थे, और जब तक उन पर महाराजा साहब की स्वीकृति नहीं हो जाती थी, तब तक वे कार्यरूप में परिणत नहीं हो सकते थे ।
माघ सुदि १५ (१ फरवरी) को महाराजा साहब दिल्ली जाकर नरेन्द्र - मण्डल ( चेम्बर ऑफ प्रिंसेज ) की सभा में सम्मिलित हुऐ ।
इस अवसर पर 'वायसराय' ने महाराजा साहब को, दिल्ली में प्रिंस ऑफ वेल्स के समक्ष खेले गए 'पोलो' में जोधपुर-टीम के विजयी होने की बधाई दी। इसके बाद लॉर्ड रीडिंग ने पण्डित सुखदेवप्रसाद काक को 'नाइट - हुड' की सनद और कैप्टन ऐवन्स (G. F. Evans ) ( डिस्ट्रिक्ट मैनेजर, जोधपुर-बीकानेर - रेलवे, पश्चिमी विभाग ) को प्रो. बी. ई. का पदक प्रदान किया ।
माघ सुदि ११ ( २८ जनवरी) को वायसराय के लिये शिकार का प्रबन्ध किया गया और वहां म लौटने पर उसने यहां के किले और मंडोर के बगीचे का निरीक्षण किया । इसी रोज़ लेडी रीडिंग ने जाकर माजी सीसोदनीजी साहबा और माजी जाडेजीजी साहबा तथा महारानी भटियानीजी साहबा से मुलाकात की । इस प्रकार भारत - गवर्नमैंट के उच्चतम अधिकारी की यह यात्रा समाप्त हुई और वह तीसरे पहर यहां से विदा हो गया ।
१. फागुन सुदि ७ (२३ फरवरी) को कराची से पोरबन्दर जाते हुए, बंबई के 'गवर्नर' मर जॉर्ज लॉयड (George Lloyed) का, मार्ग में दरबार की तरफ से भोजनादि से सत्कार किया गया। चैत्र वदि १३ ( ई. स. १६२३ की १५ मार्च ) को श्रीमती सूरज कुँवरी बाईजी साहबा के गर्भ से रीवां - महाराजकुमार मार्तण्डसिंहजी का जन्म हुआ । इस पर जोधपुर में भी हर्ष मनाया गया और किले से ५१ तोपें चलाई गई ।
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