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मारवाड़ का इतिहास
वि० सं० १९८१ की श्रावण सुदि १ ( १ अगस्त ) से ३ ' डिस्ट्रिक्ट' और 'सैशन ' ' को ' ( अदालतों ) की स्थापना की गई ।
इन दिनों यहां की जनता मारवाड़ से मादा जानवरों का बाहर जाना रोकने के लिये आन्दोलन कर रही थी । इससे श्रावण बदि ७ ( २३ जुलाई ) को महाराजा साहब ने देश और जनता के हितार्थ मादा जानवरों (गाय, बकरी, भेड़ वगैरा ) का बाहर जाना अस्थायी रूप से रोक दिया और इसके बाद गांवों की जनता के भावों की जांच कर भादों वदि १ ( १५ अगस्त) को इस आज्ञा को स्थायी रूप देदियो ।
मँगसिर वदि ४ ( ई० स० १९२४ की १५ नवम्बर ) को महाराजा साहब, नरेन्द्र-मण्डल की सभा में सम्मिलित होने के लिये, दिल्ली गए और मँगसिर वदि १२ ( २३ नवम्बर ) को वहां से लौट आएँ ।
डाक्टर थी डोर चामर्स ( Theodore Chalmers ) को 'कैसरे - हिन्द' का ( द्वितीय श्रेणी का ) पदक मिला ।
आषाढ वदि ३ (१६ जून) को 'रिवैन्यू - मैम्बर' मिस्टर ड्रेक ब्रोकमैन के ८ महीने की छुट्टी जाने पर उसके विभागों का काम अन्य 'मैम्बरों' में बांट दिया गया ।
सावन वदि २ ( २७ जून ) को जोधपुर की 'पोलोटीम' ने " केटा अमेरिकन- हैंडीकैप' में विजय प्राप्त की ।
श्रावण वदि १३ ( २६ जुलाई ) को महाराजा साहब सुमेर पुष्टिकर स्कूल के 'हाई स्कूल' बनाए जाने के उपलक्ष में किए गए, उत्सव में शरीक़ हुए ।
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१. इससे कोर्ट सरदारान. दीवानी और फ़ौजदारी अदालतों का काम इन अदालतों में होने लगा । 'जुडीशल-सुपरिटेन्डेन्टों' के अधिकार बढ़ाकर १,००० से २,००० रुपये तक कर दिए गए । नायत्र हाकिमों को तीसरे दरजे के मैजिस्ट्रेट के इख्तियार मिले और दो ऑनररी ( अवैतनिक ) मैजिस्ट्रेटों के कोर्ट बनाए गए ।
२. भादों सुदि १३ (११ सितम्बर) को जोधपुर में २४ घंटों में १७ इंच वर्षा होजाने से चारों तरफ जल ही जल दिखाई देने लगा ।
कार्तिक वदि ४ (२५ सितम्बर ) को ' जोधपुर- पोलो टीम' ने पूना में ' सर प्रतापसिंह कप का 'फाइनल मैच' जीता ।
३. मँगसिर सुदि १ ( २७ नवम्बर) को जोधपुर में पहले-पहल हवाई जहाज़ आया । जिन
लोगों को उसे पहले कहीं देखने का अवसर नहीं मिला था उन्होंने उसे बड़ी ही उत्सुकता और आश्चर्य के साथ देखा ।
मँसिर सुदि २ (२८ नवम्बर ) को महाराजा साहब ने कलकत्ते की यात्रा की और माघ वदि ११ (३० दिसम्बर) को वहां पर आपकी 'पोलोटीम' ने 'इंडियन पोलो एसोसियेशन' क 'चैंपियन कप' जीता | इसके बाद पौष सुदि ६ ( ई० स० १६२५ की जनवरी) को आप वहां से
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