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मारवाड़ का इतिहास
वि० सं० १६५५ की भादों यदि २ ( ई० स० १८९८ की ३ अगस्त) को महाराज किशोरसिंहजी का स्वर्गवास हो जाने से उनके स्थान पर उनके पुत्र महाराज अर्जुनसिंहजी जोधपुर की सेना के माडर इन चीफ' ( मुख्य सेनापति ) बनाए गए ।
इसी वर्ष कुछ कारणों से मुंशी हमीदुल्लाखाँ 'काउंसिल' की 'मैंबरी' और 'तामील' के महकमे के अध्यक्ष पद से हटाया गया और रावराजा तेजसिंह ( प्रथम ) तामील का अध्यक्ष और महाराज दौलतसिंहजी 'ऑनररी' (अवैतनिक) 'काउंसिल - मैंबर' बनाए गए ।
वि० सं० १६५५ के प्रथम आश्विन ( ई० स० १८९८ के सितम्बर ) में महाराजा सरदारसिंहजी बूंदी गए और वहां से लौट कर नसीराबाद में आपने पोलो का 'कप' जीता |
इस वर्ष की द्वितीय आश्विन वदि ८ ( ८ अक्टोबर) को जोधपुर - रेल्वे की 'बालोतरा-सादीपाली' लाइन बनाने के लिये माइसोर - राज्य से, चार रुपया सालाना सूद पर, साढे पच्चीस लाख रुपया कर्ज लेना तय हुआ ।
इसके बाद मँगसिर (दिसम्बर) में महाराजा सरदारसिंहजी और महाराज प्रतापसिंहजी दोनों बीकानेर जाकर, महाराजा गंगासिंहजी के राज्य - भार ग्रहण करने के उपलक्ष में
इस इर्ष दो बार धौलपुर के और एकवार इन्दोर के महाराजा ने जोधपुर आकर महाराजा का आतिथ्य ग्रहण किया, और स्वयं महाराजा सरदारसिंहजी किशनगढ़ जाकर वहां पर किए गए विवाह के जलमे में शरीक हुए ।
१. ई० स० १८१८ की १ मई को इमे, महाराजा सरदारसिंहजी को कुछ अस्वास्थ्य कर वस्तु खिलाने के संदेह में, रेज़ीडेंट की आज्ञा से, मारवाड़ के बाहर जाना पड़ा ।
२. इसी वर्ष मेहता गणेशचंद, जो 'काउंसिल' का 'मैंबर' और जवाहरखाना आदि अनेक महकर्मों का असर था, मर गया । वि० सं० १९५५ की भादों सुदि १३ ( ई० स० १८१८ की २६ अगस्त ) में महाराज - कुमार सुमेरसिंहजी ने मालियों की स्कूल का उद्घाटन किया । उस समय राज्य की तरफ से उक्त ( सुमेर ) स्कूल को ५०० रुपये की सहायता दी गई । ३. ए कलैक्शन ऑफ ट्रीटीज़ ऐंगेजमेंट्स ऐण्ड सनट्स ( १९०६ ), भा० ३, पृ०
२०२-२०३ ।
भारत
वि० सं० १६५७ (ई० स० १६०० ) में जोधपुर नरेश, बीकानेर -राज्य की काउन्सिल और त - गवर्नमैंट के बीच बालोतरे से हैदराबाद (सिंध) तक मीटर- गॉज रेल्वे बनाने के लिये एक संधि हुई । ए कलैक्शन ऑफ ट्रीटीज़ ऐंगेजमैंट्स ऐण्ड सनद्स, भा० ३, पृष्ठ १८१ - १८३ । इसके बाद इसमें यथा - समय उपयोगी परिवर्तन होते रहे ।
४. इस वर्ष बीकानेर-नरेश ने, आबू से अपने राज्य को लौटते हुए, जोधपुर में ठहर कर महाराज का प्रातिथ्य स्वीकार किया ।
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