Book Title: Mandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Author(s): Hansvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ पर कर्णवाघेला हुवा जिसके पास से अलाउदीन बादशाहने गुजरातका कब्जा लिया और एक वक्त का राना जंगल में भटक भटक कर मर गया। जिस अर्समें दिल्ली और गुजरात के भाग्य चक्रका चमत्कार हो रहाथा उस वक्त मालवा प्रान्तान्तर्गत मांडवगढ नगर बडा स्मृद्धिशाली था और उस वक्त वहां परमार वंशीय मालवे का प्रख्यात राणा जयसिंहदेव राज्य करता था। उस वक्त माण्डवगढको स्थिति मध्यान्हकाल जैसी थी परन्तु दैव की गति विचित्र है। काल की गति भिन्न है इससे वह भी काल के चक्कर में पड गया और उसकी बहुतसी निशानियें नष्ट हो गई। इस वक्त वहां एक छोटा सा गांव है उस वक्तका मनोहर किला पृथ्वी ने अपनी गोद में छिपा लिया है । वर्तमान में गॉव के प्रवेशद्वार पर एक पत्थर का तोरण और पृथक २ स्थानों पर प्राचीन मंदिर व खंडरों के चिन्ह दिखाई देते हैं । वहां पर वर्तमान में श्री शान्तिनाथ भगवानका जिनालय है और उसमें स्थित श्रीसुपार्श्वनाथ भगवानकी प्रतिमा महासती सीता के शील के प्रभावसे वज्रभूत हो गई यो जो इस वक्त मौजूद मानो जाति है। बहुतसे जैन लोग वहां यात्रा करने के लिये जाते हैं तब वास्तव में प्रा. चीन छटा का उनको प्रत्यक्ष भान होता है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112