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पेथडकुगरका परिचय.
* शुभ मुहुर्त में तीर्थयात्रा करने के लिये
२॥ढाइ लाख मनुष्योंके साथ प्रयाण किया। उस वक्त अनेक वाजिन्त्र बजने
लगे चारों तरफ हाथियों की गर्जना र * होने लगी,यो हिनहिनाट करने लगे, में
नाट चारण बिरदावली बोलने लगे, यात्रियों की ललनाए धवल मंगल के । गीतगाने लगी। इसी तरह अनेक प्रकारका संघ में आनन्द होने लगा इतनेमें तपागहाधिपति श्री धर्मघोष सूरि महाराज जी सपरिवार संघमें पधार गये।
राजाने जी रक्षा के लिये सुजट । * यादि संघके साथ लेजे थे। ऐसे उ
त्तम जलूसके साथ संघ आनन्दपूर्वक से रवाना होकर करहेमा गांवमें पहुंचा।