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६४ पेथडकुमारका परिचय.
ओगणी से तोतेर, साल उदारा रे ॥ तोरथ.॥७॥ गुरु लक्ष्मी विजय सारा, हंस विजय स्तवन कारा। यात्रा करी मेरु तेरस, दिन रविवारा रे ॥ तीरथ. ॥७॥
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मांडवगढ़ मे श्री प्रमद
पार्श्वनाथका मंदिर । Cerooroverebrbrecorreres
“संसार दावानल दाहनोरं" इस स्तुति की समस्या पूर्ति वाला प्राचीन * स्तोत्र उपलब्ध होता है इससे साबित
है कि पेश्तर इस मामवगढ में श्री प्रमद पार्श्वनाथ का जिनालय था। उक्त स्तोत्र निम्नानुसार है॥श्रेयोदधानं कमला निधानं, पार्श्व स्तुवेहं प्रमदानिधानं । MARATHIMITENAMES