Book Title: Mandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Author(s): Hansvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library
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मांडवगढकामन्त्री ६९ म संचारसारे वरकमलकरे तारहारानिरामे ॥ १५ ॥ पंकोत्पन्नंरजस्वि प्रव. लतर जमा संग मुच्चै विहाया, ऽर्हद्वक्रा ब्जे निवासं निरुपम परमे याव्यधादना
रतित्वं । श्रेयो लदमी विलासे जगवति ॐ वरदे चंद्रचंद्र प्रनाढ्ये, वाणीसंदोह
देहे नवविरहवरं देहिमे देवि सारं ॥ १६ ॥ इत्थंभो पार्श्वदेव स्त्रिनूवन ।
विजयी जैन नखांहि सेवः, श्रीसिद्धांत में प्रनोद्यछिनयनतमुनिर्जेनचन्द्रो वि.
तन्धः। श्री मच्छ्रोमएमपप्रा-गुदय गिरिशिरो मएमनं जोवराजी, राजीवो हास हेतुः प्रदिशतुकुशलं श्रेयसे श्री विलासम् ॥१७॥

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