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मांडवगढकामन्त्रा४३
* चढाई इसी प्रकार नाना प्रकार के शुज * कृत्यों से अपना जन्म सफल करके वहां
से रवाना होकर वणथलो होते हुवे कर्णावती के पास मुकाम किया।
HEREEEEEEEEEEEEEEEEEEEER ॐ सारंगदेवराजाका मन्तव्य
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कर्णावतीके राजा सारंगदेवने नी नगर के पास मांमवगढ के संघके पमावकी रचना तथा मंत्री के उदार
दिल का वर्णन एक नाट के मुंह से ही * सुनकर संघके मुकाम पर जाने का *
विचार किया। तदनुसार राजा रवाना
हो कर संघके पमाव की तरफ गया। * मंत्रीश्वरको राजाके शुनागमन को ख
बर मिलने से अपने पमाव को बावटे ।